आगरा, उत्तर प्रदेश
कहते हैं, अगर सोच बड़ी हो, तो मिट्टी भी सोना उगलती है। जी हाँ, हम बात कर रहें है एक ऐसे किसान की कहानी पर जिसने आलू की साधारण खेती को तकनीक, नवाचार और एफपीओ मॉडल के जरिए करोड़ों के कारोबार में बदल दिया, नाम है मनोहर सिंह चौहान। मनोहर सिंह चौहान ने खेती की शुरुआत सिर्फ 20 एकड़ जमीन से की थी। लेकिन मेहनत, लगन और आधुनिक सोच के दम पर आज उनके खेतों का दायरा 300 एकड़ तक पहुंच चुका है। जिसमें से 100 एकड़ उनकी खुद की है, और 200 एकड़ लीज पर ली गई।
आपको बता दें मनोहर रासायनिक खादों की बजाय देसी खाद और हरी खाद का इस्तेमाल करते हैं। वह अपने खेतों में जिगजैग बेड तकनीक अपनाते हैं, जिससे सिंचाई बेहतर होती है और आलू के कंद मजबूत बनते हैं। आज उनका सालाना कारोबार 75 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। उनके खेतों में मुख्य रूप से 3797 टेबल पोटैटो वैरायटी लगाई जाती है, जिसकी मांग न केवल भारत में, बल्कि श्रीलंका, मलेशिया, दुबई और सिंगापुर जैसे देशों में भी है। यानी सीधा कहें तो उनके खेत से निकलने वाला आलू अब ग्लोबल ब्रांड बन चुका है । मनोहर सिंह ने सिर्फ खुद नहीं, बल्कि अपने साथ 800 किसानों को भी जोड़ा है। उन्होंने एक किसान उत्पादक संगठन (FPO) की स्थापना की है, जहां किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज, प्रशिक्षण और बाजार की सही जानकारी मिलती है ।
वही मनोहर कहते हैं कि एक्सपोर्ट क्वालिटी फसल वही है, जिसमें कीटनाशक कम हों और मिट्टी की उर्वरता बरकरार रहे। इसी सोच के तहत वे मिट्टी परीक्षण, ड्रिप इरिगेशन और आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हैं। उनकी खेती पारदर्शी, वैज्ञानिक और भविष्य के भारत की मिसाल है। मनोहर जी की कहानी हमें बताती है कि अगर इरादे सच्चे हों, तो खेत भी उद्योग बन जाते हैं।



