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यह है असली संस्कार–शाला

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हरिद्वार, उत्तराखण्ड

सेवा, संस्कार और सृजन, एक ही मंच पर। यह है सेवा कुंभ जहाँ नन्हे-मुन्ने बच्चों की प्रतिभा और संस्कृति ने मिलकर रचा एक अद्भुत संगम।
वात्सल्य वाटिका में संस्कार भारती महानगर इकाई, हरिद्वार का बच्चों को संस्कारों से जोड़ने का यह प्रयास बन गया सेवा कुंभ 250 से अधिक बच्चों ने अपनी कल्पना को रंगों में ढाला। ड्राइंग और पेंटिंग प्रतियोगिताओं ने खोली सृजन की नई राहें।


रंगोली की सुन्दर आकृतियाँ और उत्तराखंड की परंपरागत ऐपण कला, हर प्रतियोगिता में छिपी दिखीं संस्कृति की गहरी जड़ें। क्विज प्रतियोगिता ने बच्चों के ज्ञान, आत्मविश्वास और टीमवर्क को नया आयाम दिया। इन सभी गतिविधियों का उद्देश्य सिर्फ प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि संस्कारों का वह समन्वय है, जो बच्चों के अंदर चरित्र, सृजनशीलता और देशभक्ति के बीज बोता है। संस्कार भारती हरिद्वार की यह अनूठी पहल सेवा कुंभ में बच्चों में हुनर के साथ-साथ बल्कि संस्कारों की वह झलक भी दिखी, जो उन्हें बेहतर भविष्य की ओर ले जाती है।