सनातन
धर्म की मान्यता है कि भगवान शिव के डमरू से ही शब्द और नाद की उत्पत्ति हुई है। इसलिए
आज के भौतिकशास्त्री भी डमरू पर शोध कर रहे हैं। डमरू भारतीय लोकमानस में भगवान शिव
के वाद्य यंत्र के रूप में अत्यंत प्रसिद्ध है। इस समय भगवान शिव जिन्हें महाकाल
भी कहा जाता है की नगरी उज्जैन में भगवान शिव के अतिप्रिय श्रावण मास में तरह-तरह के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं...
इसी
क्रम में 5 अगस्त 2024 को महाकाल की नगरी
उज्जैन ने एक नया कीर्तिमान रचा...उज्जैन में 1500 डमरू एक साथ बजाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया..हम सभी
जानते हैं भगवान भोलेनाथ को डमरू बहुत प्रिय है, और उनकी नगरी
इस अवसर पर डमरू से गूंज उठी, आपको बता दें कि महाकाल लोक स्थित
शक्तिपथ पर 1500 डमरू वादकों ने प्रस्तुति देकर गिनीज बुक ऑफ
वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है..इस उपलब्धि पर मध्य प्रदेश
के सीएम मोहन यादव ने बधाई भी दी है..
जानकारी के लिए बता दें
कि इसके पहले फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन न्यूयॉर्क ने 488 डमरू
एक साथ बजाकर यह रिकॉर्ड बनाया था, इसके साथ आज उज्जैन में
1500 डमरू बजाकर यह रिकॉर्ड तोड़ नया कीर्तिमान रच दिया है,
1500 डमरु वादकों ने उत्साह और उमंग के साथ ऐसा डमरू बजाया कि यह अद्भुत नजारा लोगों ने जब देखा
तो वो भी भाव विभोर दिखे.. श्रद्धा, भक्ति
और उत्साह की त्रिवेणी बनी बाबा महाकाल की नगरी