• अनुवाद करें: |
इतिहास

डॉ. नारायण दामोदर सावरकर जी की जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

डॉ. नारायण दामोदर सावरकर जी की जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन
25 मई 1888 - 19 अक्टूबर 1949

भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े हुए भारत माता के अनेक वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। किसी को फांसी दी गई तो किसी को काला-पानी की सजा अर्थात् आजीवन कारावास , जहां इन क्रांतिवीरों को कोल्हू का बैल बनाया जाता था।
लेकिन इन अमर सेनानियों ने कभी अंग्रेजी शासन के सामने घुटने नहीं टेके। ऐसे ही क्रांतिकारियों में से एक थे डॉ. नारायण दामोदर सावरकर, वह वीर सावरकर के छोटे भाई थे। यूँ तो वह दन्त-चिकित्सक थे किन्तु माँ भारती की स्वाधीनता हेतु क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय थे, साथ ही उन्होंने स्वामी श्रद्धानंद की स्मृति में श्रद्धानन्द साप्ताहिक का तीन वर्षों तक प्रकाशन भी किया।
वह मुम्बई की हिन्दू महासभा के सक्रिय व वरिष्ठ कार्यकर्ता रहे तथा बाद में कुछ वर्षों के लिए इसके अध्यक्ष भी रहे। मुंबई में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रथम शाखा इन्हीं के दवाखाने में आरम्भ हुई थी।