महाकुम्भनगर ।
- महाकुम्भ में श्रद्धालुओं के लिए डेढ़ महीने तक लंगर चला। लंगर के पंडाल में चार साहिबजादों व सिक्ख समाज के इतिहास की प्रदर्शनी भी लगाई गयी थी। लंगर में सहयोग करने वाले लोगों का संस्था की ओर से सम्मान किया गया
- सरदार जसविंदर सिंह के नेतृत्व में कैम्प का संचालन हुआ। यहां पर श्रद्धालुओं के साथ प्रयागराज में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी या पढ़ाई कर रहे छात्रों ने प्रसाद ग्रहण किया
प्रयागराज महाकुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर 07 में आयोजित ‘लंगर भाई लालो जी’ ने लाखों श्रद्धालुओं को तृप्त किया। शिविर के माध्यम से सिक्ख समाज ने श्रद्धालुओं की निरन्तर सेवा की। महाकुम्भ में श्रद्धालुओं के लिए डेढ़ महीने तक लंगर चला। लंगर के पंडाल में चार साहिबजादों व सिक्ख समाज के इतिहास की प्रदर्शनी भी लगाई गयी थी। लंगर में सहयोग करने वाले लोगों का संस्था की ओर से सम्मान किया गया। सरदार जसविंदर सिंह के नेतृत्व में कैम्प का संचालन हुआ। यहां पर श्रद्धालुओं के साथ प्रयागराज में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी या पढ़ाई कर रहे छात्रों ने प्रसाद ग्रहण किया।
कथावाचक ज्ञानी करनैल सिंह गरीब ने कहा कि सिक्ख गुरूओं ने अपने लिए नहीं मानवता के कल्याण के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। भारत में आज अगर 14 मजहब के लोग शांति से रह रहे हैं तो उसके लिए हमें गुरू तेग बहादुर जी के बलिदान को नहीं भूलना चाहिए। सिक्ख गुरूओं ने अपने को सेवादार ही कहा। हमें एक दूसरे से जुड़कर सबको परमात्मा से जोड़ना है। सिक्ख का मतलब जो गुरू के विचारों के अनुरूप चले, वह सिक्ख है।
उन्होंने कहा कि जब तक अंदर की आत्मा को भक्ति व ज्ञान का स्नान नहीं कराओगे, तब तक ऊपरी स्नान से कोई लाभ नहीं होगा। हमें गुरू की शिक्षाओं के अनुरूप चलने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष जी ने कहा कि महाकुम्भ में लालो जी के लंगर के माध्यम से एक महायज्ञ संपन्न हुआ है। महाकुम्भ में अब तक 62 करोड़ से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। प्रयाग की धरती से संतों ने कहा कि धर्म की जय हो। धर्म यानि जो सबका सम्मान करता है, सबको साथ लेकर चलता है, वही धर्म है। नारी का सम्मान होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि केवल पंजाब ही नहीं, सम्पूर्ण भारत हमारा है। सभी सनातनी हमारे हैं। सद्भाव होगा तभी हमारे साथ शक्ति खड़ी होगी। जहां शक्ति होगी, वहीं समृद्धि होगी। विश्व का कल्याण हो। इतना बड़ा चिन्तन केवल सनातनी ही मानकर चलते हैं। इसलिए संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो, भला हो जिसमें देश का वह काम सब किये चलो।
सरदार इकबाल सिंह, सरदार मुख्तार सिंह, स्वामी शिवानन्द, सरदार परमजीत सिंह बग्गा, सरदार सत्येन्द्र सिंह, डॉ. मंजीत सिंह खालसा, सरदार सुरिन्दर सिंह, उदय सिंह, अमरेन्द्र श्रीवास्तव, दिलीप कुमार, सरदार कुलविंदर सिंह व सरदार परविंदर सिंह सहित अन्य को सम्मानित किया गया।