- जब कोई किसी जगह से चला जाता है, तो वहां पर गंदगी जमा हो जाती है। फिर जब वो काफी समय बाद वहां लौटकर आता है तो उस जगह की सफाई करता है।
- प्रभु अब आ रहे हैं तो अपने घर की सफाई कर रहे हैं। भगवान का अवतार अब संभल में होगा, ये स्पष्ट है। इसमें कोई शंका की बात नहीं है।
संभल। पुराणों की मान्यता है कि भगवान का कल्कि अवतार होगा। जिस तरह भगवान विष्णु ने कई अवतारों में दीन दुखियों और अपने भक्तों की रक्षा की आशीर्वाद दिया। स्कंद पुराण में लिखा है भगवान कल्कि जब आएंगे, तब संभल में ही आएंगे। संभल भगवान कल्कि की जन्म भूमि है। जब कोई किसी जगह से चला जाता है, तो वहां पर गंदगी जमा हो जाती है। फिर जब वो काफी समय बाद वहां लौटकर आता है तो उस जगह की सफाई करता है।
ऐसा कहा जा रहा है, संभल में जो भी हो रहा है वो भगवान की इच्छा है। प्रभु अब आ रहे हैं तो अपने घर की सफाई कर रहे हैं। भगवान का अवतार अब संभल में होगा, ये स्पष्ट है। इसमें कोई शंका की बात नहीं है।
इसके बारे में स्कन्द पुराण में भी बहुत कुछ लिखा हुआ है। कल्कि भगवान के बारे में तो बहुत से पुराणों में लिखा हुआ है। भागवत में भी है, विष्णु पुराण में भी लिखा है। भविष्य पुराण में भी है, महाभारत में भी है।
भगवान के जन्म से संबंधित जो भी बातें पुराणों में लिखी गई है, उसके सभी प्रमाण संभल में मौजूद हैं। यह कहना है, पंडित महेंद्र प्रसाद शर्मा का। जो अभी प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मंदिर के महंत हैं।
भगवान कल्कि संभल में ही जन्म लेंगे, महंत ने उसकी भी वजह बताई
प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मंदिर के महंत पंडित महेंद्र प्रसाद शर्मा के मुताबिक एक पहचान तो यह है कि संभल गंगा और राम गंगा के बीच में बसा हुआ है। ऐसा लिखा हुआ है कि जो स्थल गंगा और रामगंगा के बीच होगा वही कल्कि भगवान की जन्मभूमि होगी। वो जगह त्रिकोणात्मक होगी। अभी तक ऐसा कोई शहर है ही नहीं, जो तीन कोनों में बसा हो। बस ये संभल ही है जो तीन कोनों में बसा हुआ है।
1 योजन मतलब 12 किलोमीटर होता है
इसकी जो दूरी लिखी गई है, भागीरथी गंगा से 3 योजन की दूरी पर संभल है। संभल से 3 योजन की दूरी पर रामगंगा है। आज की भाषा में बोले तो 1 योजन मतलब 12 किलोमीटर होता है। मतलब दोनों साइड से 36-36 किलोमीटर की दूरी है।
36 किलोमीटर की ही परिक्रमा भी है। जो 24 कोसीय परिक्रमा कहलाती है। पता नहीं ये परिक्रमा कब से चल रही है। सीएम के कहने पर अब तो परिक्रमा का मार्ग भी बन गया है। लोग अब यहां आते हैं और परिक्रमा करते हैं।
तो ये परिक्रमा मार्ग और 25 तीर्थों का होना ये अपने आप में बताता है कि यही भगवान कल्कि की जन्मभूमि है। संभल का जो नक्शा है, उसमें दिखाया गया है कि हरिहर मंदिर बिल्कुल बीच में है। हरिहर मंदिर से कौन सा तीर्थ किस कोण पर बसा है और कितनी दूरी पर है, यह भी दर्शाया गया है। स्कन्द पुराण का जो भूमि वाला खंड है, उसमें इसके बारे में विस्तार से बताया गया है।
इन मंदिरों की हम सालों में गिनती नहीं कर सकते
पूरब के साइड में चंद्रेश्वर महादेव, दक्षिण के कोने में गोपालेश्वर महादेव और तीसरे कोने पर भुवनेश्वर महादेव हैं। तीनों कोनों पर भगवान शिव का मंदिर है। मैं सभी सनातनियों से ये अपील करूंगा कि इन मंदिरों को, तीर्थों को नष्ट होने से पहले बचा लें। संभल जैसा शहर आपको दूसरा नहीं मिलेगा।
गीता प्रेस में भी लिखा है, छठ पूजा वाले दिन भगवान कल्कि का जन्म होना बताया गया है। कल्कि महोत्सव में साल में 1 बार सभी भक्त यहां कल्कि महोत्सव में आते हैं। ये परंपरा साल 1907 से चल रही है। आज तक निभाई जा रही है।
वैसे तो इस मंदिर के बनने का कोई प्रमाण नहीं है। बस एक नक्शा ही प्रमाण है। इस मंदिर की बहुत ज्यादा ऊंचाई नहीं है। मंदिर की बनावट ही अलग है, जो इसकी भव्यता को दर्शाती है। संभल के अधिकांश मंदिर पुराने हैं। इन मंदिरों की हम सालों में गिनती नहीं कर सकते हैं।
इस मंदिर पर भूकंप और बिजली का असर नहीं होता
ये कल्कि मंदिर अष्टकोमी है। मंदिर के बीच में खड़े होकर 8 कोनों में देखा जा सकता है। कोई इस मंदिर में 10 मिनट बैठकर देखे, सारे सवालों के जवाब खुद मिल जाएंगे। संभल त्रिकोणीय है, जो लक्ष्मी जी का अंश है। संभल के बारे में भी किसी को बताया नहीं जा सकता है। इस मंदिर पर भूकंप और बिजली का असर नहीं होता है। क्योंकि इसकी बनावट ही ऐसी है। आज कल ऐसी बनावट नहीं मिलती है।
विज्ञान कहता है कि ओजोन लेयर फट चुकी है। जितना पारा अभी रहता है, उसे अगर 8-10 डिग्री भी ज्यादा हुआ तो मनुष्य मर जाएगा। वो चलते-चलते गिरेगा और दम तोड़ देगा। इन सब चीजों को अब सिर्फ भगवान ही रोक सकते हैं।
अब भगवान नहीं आए तो सनातन धर्म खत्म हो जाएगा
कहीं का पानी भी अब पीने योग्य नहीं बचा है। लोग बोतलों का पानी पी रहे हैं। आक्सीजन की कमी हो रही है। सब चीजें धीरे-धीरे सीमाएं पार कर रही हैं। ऐसा क्यों हो रहा है? कभी सोचा है। जो लोग भगवान को मानते हैं, वो लोग जानते हैं, भगवान ऐसे ही समय पर आते हैं। वो लोग कहते हैं, अगर अब भगवान नहीं आएंगे तो फिर सनातन धर्म खत्म हो जाएगा। उस डॉक्टर के आने का क्या फायदा, जो मरीज के मरने के बाद आए।
इस मंदिर का जिक्र 1000 साल पुराने नक्शे में है
भगवान का आना अब मुझे नजदीक ही लगता है क्योंकि उन्हीं के आने के बाद हम सब बच पाएंगे। अभी कितनी आपदाएं आएंगी ये तो मैं नहीं कह सकता, हालात बहुत ज्यादा खराब हैं और भगवान को ऐसे समय पर आना ही चाहिए।
इस कल्कि मंदिर के बारे में मैं तो बस यही कहूंगा कि इस मंदिर का जिक्र 1000 साल पुराने नक्शे में है। उसमें इसे दिखाया गया है। अहिल्याबाई के खानदान ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया है। मुझे ये विश्वास है कि भगवान आएंगे और जल्द ही आएंगे। सनातन धर्म के रक्षक वही हैं।