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आत्मनिर्भर भारत : अलीगढ़ के इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में बन रही बुलेट रेसिस्टेंट जैकेट

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देश की धरती पर पड़ने वाले नापाक कदमों से देश की सुरक्षा करते हैं हमारे देश के जवान। दुश्मन देश को अपनी गोलियों से जवाब देने वाले इन जवानों की सुरक्षा भी बहुत जरुरी है जिसके लिए इन्हें बुलेट प्रूफ जेकेट्स की जरुरत पड़ती है। भारत पिछले अनेक वर्षों से बुलेट प्रूफ जैकेट के लिए विदेशी देशों पर निर्भर था। परंतु रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की नीति के चलते भारत ने इस दिशा में भी उन्नति की है। 

भारत के वीर सपूतों की सुरक्षा को 'देसी सुरक्षा कवच' मजबूत करेगा। 'बैलेस्टिक प्रोटेक्शन ड्रेस' के नाम से  अलीगढ़ स्थित डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में तैयार की जाने वाली बुलेट प्रूफ जैकेट रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढाया गया भारत का एक और कदम है। मेक इन इंडिया के तहत बन रही ह जैकेट जवानों को सामने से तो रक्षित करेगी ही इसी के साथ यह कमर के ऊपर दोनों साइड को भी पूरी तरह बचाने में सक्षम है, जबकि विदेशी जैकेट में ये खूबियां नहीं हैं। सस्ती और अच्छी होने के चलते कई यूरोपीय देश भारत में बनी इस जैकेट को खरीदना चाहते हैं। आपको बता दें कि भारत सरकार से करार के बाद वर्ष 2023 में अलीगढ़ की एलन एंड एल्बन डिफेंस एंड एयरोस्पेस कम्पनी में इस बुलेटप्रूफ जेकेट को बनाने का काम शुरू हुआ।

निर्माण के बाद केंद्र सरकार से आई सिक्योरिटी टीम ने इस जैकेट का परीक्षण भी कर लिया है, परिक्षण के बाद यह जैकेट उम्मीदों पर शत प्रतिशत खरी उतरी है। अलीगढ़ में बनने वाली यह जैकेट विदेश में बनने वाली जैकेट से कीमत के साथ साथ मैटिरियल के मामले में भी एडवांस है। जहाँ विदेश से आने वाली जैकेट लगभग एक से 1.25 लाख रुपये है और इसका वजन भी लगभग 35 किग्रा है वहीँ देश में निर्मित जैकेट विदेशी जैकेट से  20 से 25 प्रतिशत सस्ती और इसका वजन भी 15 से 18 किलो ही है। यह आधुनिक जैकेट 9 mm के कारतूस को भी रोक सकती हैं। वजन में हल्की होने के कारण जवान इसको पहनकर आसानी से मूवमेंट कर सकेंगे। इसमें कोई सन्देश नहीं है कि देश का  आत्मनिर्भर भारत का संकल्प हमें रक्षा क्षेत्र में भी स्वावलंबन की ओर ले जा रहा है