गोरखपुर. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जी ने आज सैनिक स्कूल गोरखपुर का उद्घाटन किया. उद्घाटन अवसर पर उन्होंने सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में अपने छात्र जीवन के दिनों का स्मरण किया तथा उनके जीवन को आकार देने में सैनिक स्कूल के योगदान को रेखांकित किया.
उन्होंने राष्ट्रवाद पर समझौता करने के खिलाफ़ सावधान करते हुए इसे “राष्ट्र के साथ धोखा” बताया. उन्होंने कहा कि जहां भी कोई राष्ट्र पर प्रश्न चिन्ह उठाएगा तो हमें उसे सहन नहीं करना है. राष्ट्र के प्रति कर्तव्य को हमेशा स्वार्थ और राजनीतिक हित से ऊपर रखना चाहिए. ऐसा करने में विफलता भारत की हजारों वर्षों पुरानी सभ्यतागत विरासत पर हमला होगा.
उन्होंने परिवर्तन के प्रभावशाली माध्यम ‘शिक्षा’ के महत्व पर बल देते हुए व्यक्ति के जीवन में नियंत्रण करने के लिए महत्वपूर्ण बताया साथ ही समाज में फैली असमानता और कुरीतियों को समाप्त करने में भी शिक्षा की अहम भूमिका को उजागर किया.
उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की विशिष्ट पहचान की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि आज का भारत वह नहीं है जो दस साल पहले था. अनुच्छेद 370, जिसे संविधान निर्माताओं ने अस्थायी कहा था, उसे कुछ लोग स्थायी मान बैठे थे. इस दशक में उसको विलुप्त कर दिया गया है. यह आज का भारत है.
गोरखपुर में नए सैनिक स्कूल की स्थापना पर उन्होंने कहा कि यह स्कूल भावी पीढ़ियों के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा. यह अन्य राज्यों तथा पूरे देश के लिए एक मानक स्थापित करेगा.
कैडेटों को संबोधित करते हुए, उन्हें अपने मन से डर को मिटाने का आग्रह किया. चंद्रयान-3 की सफलता चंद्रयान-2 से मिले सबक पर आधारित थी, इस बात का वर्णन करते हुए कहा, असफलता सफलता के शुरुआती केंद्र है.
उपराष्ट्रपति ने सैनिक स्कूल गोरखपुर परिसर में शूटिंग रेंज का भी उद्घाटन किया.