अंगदान यानी किसी दूसरे को आप नया जीवन दे रहे हैं। ऐसे में किसी को जीवन का उपहार देना सबसे बड़े सद्कार्यों में से एक है। हेलेन केलर, जो कि अमेरिकी बधिर, नेत्रहीन लेखक और सोशल वर्कर थीं, उनका कहना था कि मौत एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने से ज्यादा और कुछ नहीं है। लेकिन मेरे लिए एक अंतर है, आप जानते हैं। क्योंकि उस दूसरे कमरे में, मैं देख सकूंगा। उनका यह कथन इस बात की गवाही है कि नेत्रदान से हजारों लोगों के जीवन में रोशनी आ सकती है।
इसी महत्व के चलते आगरा, उत्तर प्रदेश में समाजसेवी संस्थाओं ने नेत्रदान और देहदान करने वाले 65 परिवारों को सम्मानित करने के साथ ही लोगों से नेत्रदान की अपील भी की। इसके अलावा कार्यक्रम में आगरा विकास मंच के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने इन परिवारों को नेत्रदान और देहदान प्रकल्प का ब्रांड एंबेसडर भी घोषित किया।
प्रोत्साहन और सराहनीय प्रयास से प्रभावित होकर चार लोगों ने कार्यक्रम में ही देहदान की घोषणा की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने सभी को सम्मानित किया। वहीं श्री रामलीला कमेटी से जुड़े संतोष कुमार शर्मा ने नेत्रदान और देहदान करने के लिए घर-घर जाकर लोगों के जागरूक करने की घोषणा की।
इसके अलावा नेत्रदान के बाद कॉर्निया ट्रांसप्लांट करने वाली नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ, शेफाली मजूमदार, एसएन मेडिकल कॉलेज एवं उनकी टीम को भी सम्मानित किया गया। गौरतलब है कि भारत में लगभग 4 मिलियन कॉर्निया की स्थिति के कारण अंधे हैं, जिन्हें यदि डोनर मिल जाए तो वो भी देख सकते हैं। इसलिए नेत्रदान की मुहिम से जुड़कर हम किसी के जीवन में रोशनी ला सकते हैं।