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तुंगनाथ मंदिर के पुनरुद्धार में सहयोग करेंगे उद्दमी मुकेश अंबानी

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- समुद्र तल से 12000 फिट की ऊंचाई में स्थित है मंदिर

- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भूवैज्ञानिक, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान निभाएंगे प्रमुख भूमिका 

उत्तराखंड। उद्योगपति मुकेश अंबानी ने तुंगनाथ मंदिर के पुनरुद्धार और सौंदर्यीकरण कार्य में सहयोग करने की घोषणा की है। यह मंदिर, जो समुद्र तल से 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और पंच केदार में तृतीय केदार के रूप में प्रसिद्ध है, ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। 1991 में आए भूकंप से इस मंदिर की संरचना को नुकसान पहुंचा, और तब से इसकी मरम्मत की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। अब, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI), और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) इस पुनरुद्धार के प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।

मुकेश अंबानी, जिन्होंने हाल ही में बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में भी पूजा-अर्चना की और 5 करोड़ रुपये का दान दिया, अब तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मंदिर का पुनरुद्धार चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा, जिसमें गर्भगृह, सभामंडप और अन्य छोटे मंदिरों का संरक्षण और सौंदर्यीकरण भी शामिल है।

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तुंगनाथ मंदिर के पुनरुद्धार के तहत कई महत्वपूर्ण कार्य किए जाएंगे। प्रमुख कार्यों में शामिल होंगे:

गर्भगृह और सभामंडप का पुनरुद्धार-

मंदिर का गर्भगृह और सभामंडप, जो भूकंप के कारण क्षतिग्रस्त हो गए थे, का पुनर्निर्माण किया जाएगा। यह कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा ताकि मंदिर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अखंडता बनी रहे।

मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण-

मुख्य मंदिर के अलावा परिसर में मौजूद छोटे-छोटे मंदिरों का भी संरक्षण और सौंदर्यीकरण किया जाएगा। इन कार्यों से मंदिर के आसपास की संरचनाओं को सुरक्षित रखने के साथ ही पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाया जाएगा।

संरचनात्मक सुरक्षा-

केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI), भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की टीमों द्वारा संरचनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी, ताकि भविष्य में किसी भी प्राकृतिक आपदा से मंदिर को सुरक्षित रखा जा सके।

वातावरणीय संरक्षण-

मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखने के लिए भी विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिससे यह स्थान न केवल धार्मिक बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी संरक्षित हो सके।