उत्तराखण्ड
आज के डिजिटल युग में सिम कार्ड जैसे छोटे दिखने वाले साधन का दुरुपयोग बड़े स्तर पर किया जा सकता है। फर्जी दस्तावेजों से सिम एक्टिवेट कर साइबर अपराध और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले गिरोह लगातार नए तरीके अपनाते हैं। लेकिन जब प्रशासन और पुलिस मिलकर काम करती हैं, तो ऐसे खतरनाक नेटवर्क का भंडाफोड़ संभव हो पाता है। बताते चले की उत्तराखण्ड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने ऐसा ही एक बड़ा मामला उजागर किया है, जिसमें भोले-भाले लोगों की पहचान का इस्तेमाल कर सैकड़ों फर्जी सिम कार्ड नेपाल भेजे जा रहे थे। उत्तराखण्ड एसटीएफ ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो लोगों को बहला-फुसलाकर उनके आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज लेकर फर्जी सिम कार्ड एक्टिवेट करता था और उन्हें नेपाल में बेच देता था। इस मामले में एसटीएफ ने भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय से मिले इनपुट्स पर कार्रवाई करते हुए रघुवीर सिंह कार्की नामक आरोपी को पिथौरागढ़ जनपद के बेरीनाग क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। आरोपी की दुकान ‘आरके इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मोबाइल सेंटर’ की आड़ में यह फर्जीवाड़ा चल रहा था। इसी कड़ी में पुलिस ने उसके पास से वीआई कंपनी के 748 एक्टिवेटेड सिम कार्ड, 12 आधार कार्ड, 5 मोबाइल फोन और कई अन्य फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं। जांच में सामने आया है कि इन सिम कार्ड्स का इस्तेमाल साइबर अपराध और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में किया जा सकता था। आरोपी के खिलाफ पहले भी 2024 में फर्जी सिम बेचने का मुकदमा दर्ज हो चुका है। दूरसंचार विभाग और एसटीएफ की संयुक्त जांच से पता चला कि यह सिम कार्ड नेपाल बॉर्डर के पास संदिग्ध व्यक्तियों को बेचे जा रहे थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की निगरानी में एक विशेष टीम बनाई गई, जिसने जांच के बाद आरोपी को दबोच लिया। फिलहाल उससे गहन पूछताछ की जा रही है ताकि पूरे नेटवर्क की जानकारी मिल सके।