• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

जानें कौन है 'हाईटेक नर्सरी वाली दीदी'

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

मेरठ, उत्तर प्रदेश 

जब ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएँ यदि प्रशिक्षण, अवसर और सहयोग मिलता है तो वे न केवल अपने परिवार का सहारा बन सकती हैं अपितु पूरे समुदाय की दिशा बदल देती हैं। मेरठ जिले के मछरी गांव की रीना मलिक और उनके साथ जुड़ी महिलाओं ने इसी सोच को वास्तविकता में बदल दिया है। उन्होंने न केवल अपने लिए रोजगार का साधन बनाया बल्कि किसानों की जरूरतें पूरी कर पूरे क्षेत्र में आशा की नई किरण जगा दी है। आइए, उनकी इस प्रेरणादायक यात्रा को विस्तार से जानते हैं।

मेरठ की हाईटेक नर्सरी

मेरठ, दौराला ब्लॉक के मछरी गांव में रहने वाली रीना मलिक ने साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति और समर्पण से बड़ी से बड़ी कठिनाइयाँ भी पार की जा सकती हैं। शादी के बाद घर की जिम्मेदारियों में उलझी रीना ने कुछ अलग करने का सपना देखा और 'दुर्गा शक्ति समूह' बनाकर दस महिलाओं के साथ मिलकर ऐसी पहल शुरू की, जिसने उनकी आर्थिक स्थिति बदल दी। रीना बताती हैं कि शुरू में उनका कुछ करने का मन तो था, पर अवसर नहीं मिल रहा था। उन्होंने कई प्रशिक्षण लेकर उद्यान विभाग से सहयोग लिया। गांव में खाली पड़ी जमीन पर हाईटेक नर्सरी शुरू की गई। दिसंबर 2023 से यह पहल पूरे जोश के साथ चल रही है। शुरू में लोगों ने इसे अजीब समझा, लेकिन मेहनत से धीरे-धीरे सभी का विश्वास जीत लिया। आज समूह की महिलाएँ आर्थिक रूप से सक्षम हैं और परिवार की जरूरतों में योगदान कर रही हैं। परिवार के लिए अब पैसे मांगने की जरूरत नहीं रही। यहाँ बिना मिट्टी के विशेष मिश्रण से पौधे तैयार किए जाते हैं। कोकोपीट, पर्लाइट और वर्मीकुलाइट का उपयोग कर रोगमुक्त और पोषणयुक्त पौधे तैयार होते हैं। हजारों किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौधे उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे उनकी उपज बढ़ी है।

किसानों के लिये तैयार किये जाते हैं पौधे.

बीज देकर पौधे तैयार कराने पर 1 रुपये प्रति पौधा। स्वयं बीज खरीद कर पौधे तैयार कराने पर 2 रुपये प्रति पौधा। टमाटर, मिर्च, बैगन, करेला, तरबूज, शिमला मिर्च, पपीता आदि की अनेक किस्में। अब तक 6 लाख से अधिक पौधे किसानों के लिए तैयार किए जा चुके हैं।

नर्सरी में तैयारी करतीं महिलाएं

समूह की महिलाएँ हर महीने 15 से 20 हजार रुपये तक की आमदनी अर्जित कर रही हैं। अब लोग उन्हें प्यार से 'हाईटेक नर्सरी वाली दीदी' कहकर पुकारते हैं। किसान दूर-दराज से संपर्क करते हैं। प्रदर्शनी और कृषि मेलों में भाग लेकर समूह ने अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया है। उद्यान विभाग द्वारा तकनीकी प्रशिक्षण, रखरखाव में मदद और वित्तीय सहयोग प्रदान किया जा रहा है। रीना मलिक और उनके 'दुर्गा शक्ति समूह' की यह कहानी आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में एक उज्ज्वल उदाहरण है। यह पहल बताती है कि जब महिलाओं को प्रशिक्षण और अवसर मिलते हैं, तो वे अपने साथ-साथ पूरे समाज की तस्वीर बदल सकती हैं।

किसानों को पौधे देतीं रीना मलिक