नेपाल उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोपाल परांजलि ने भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग रखी है। उन्होंने कहा है कि भारत के हिन्दू राष्ट्र बनने का पूरी दुनिया पर अच्छा और सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
नेपाल उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोपाल परांजलि और पशुपतिनाथ विकास कोष काठमांडू के प्रमुख सदस्य व संहिता शास्त्री अर्जुन प्रसाद वास्तोला नेपाल के 10 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के साथ आज पूर्वाह्न में गोवर्धन स्थित श्री आद्य शंकराचार्य आश्रम पहुंचे और गोवर्धन पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अधोक्षजानंद देवतीर्थ जी महाराज का आशीर्वाद लिया।
शंकराचार्य से भेंट के दौरान नेपाल उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोपाल परांजलि ने कहा कि भारत के हिन्दू राष्ट्र बनने से पूरी दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नेपाल सैद्धांतिक रुप से पहले से ही हिन्दू राष्ट्र है। यदि भारत भी हिन्दू राष्ट्र बन जाता है तो इससे पूरी दुनिया में फैले करीब 178 करोड़ हिन्दुओं को गौरव की अनुभूति होगी, उनका आत्मबल बढ़ेगा और दुनिया में एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा।
इस अवसर पर पशुपतिनाथ विकास कोष के प्रमुख सदस्य व संहिता शास्त्री अर्जुन प्रसाद वास्तोला ने कहा कि आज से 2530 वर्ष पहले भगवान श्री आद्य शंकराचार्य ने विधर्मियों द्वारा छिन्न-भिन्न की जा चुकी वैदिक सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि आज पुनः शंकराचार्य के विचारों से ही प्राणी मात्र का कल्याण होगा।
काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ विकास कोष के प्रमुख सदस्य श्री वास्तोला ने कहा कि दुनिया में ईसाई, मुसलमान, बौद्धों के देश हैं। यहूदियों का भी एक देश है। ऐसे में दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला भारत हिन्दू राष्ट्र घोषित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत एक दिव्य देश है, यहां से ज्ञान की अक्षुण धारा प्रवाहित होती है। इसके हिन्दू राष्ट्र होने से दुनिया के करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों का आत्मबल मजबूत होगा। साथ ही दुनिया का कल्याण होगा।
इससे पहले प्रतिनिधि मंडल के साथ नेपाल के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं संहिता शास्त्री ने शंकराचार्य को श्री पशुपतिनाथ के चन्दन से तिलककर उन्हें रुद्राक्ष माला पहनाई और फलों का टोकरा भेंट किया। साथ ही शंकराचार्य जी को नेपाल आने के लिए उनसे अनुरोध किया।
नेपाल के प्रतिनिधिमंडल ने जगद्गुरु देवतीर्थ से अनुरोध किया कि वह जल्द ही नेपाल आने की तिथि निर्धारित करें ताकि वहां शंकराचार्य के आगमन से पूर्व भव्य तैयारियां सुनिश्चित की जा सकें।
इस दौरान प्रतिनिधि मंडल ने शंकराचार्य से भारत-नेपाल के धार्मिक व सांस्कृतिक मामलों पर विस्तुत चर्चा भी की। ज्ञात हो कि आद्य शंकराचार्य द्वारा विरचित मठाम्नाय महानुशासन के अनुसार पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों समेत नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यामार, गोवर्धन मठ के अन्तर्गत विशेष संरक्षित क्षेत्र हैं। शंकराचार्य स्वामी श्री अधोक्षजानंद देव तीर्थ जी महाराज गोवर्धन मठ के 145 वें शंकराचार्य हैं। वर्तमान में वह 12 ज्योतिर्लिंग और 52 शक्तिपीठों के दर्शन पूजन हेतु पुरातन अखंड भारत का भ्रमण भी कर रहे हैं।