• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

रामलला की ऐसी घड़ी जो बताएगी 9 देशों का टाइम

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

लखनऊ में एक व्यक्ति ने एक अद्भुत कमाल कर दिखाया है । भगवान  की भक्ति में लीन एक शख्स ने एक ऐसी घड़ी बनायी है जो एक ही सुई से नौ देशों का समय बताती है । लखनऊ के सब्जी विक्रेता अनिल कुमार साहू ने अपने पुरुषार्थ, विज्ञान-भावना और भक्ति से एक ऐसी घड़ी बनाई है जो भारत समेत नौ देशों का समय एक ही सुई से बताती है। यह मात्र एक घड़ी नहीं,अपितु  ज्ञान,विज्ञान और आत्मबल की समरसता का जीवंत उदाहरण है। मात्र हाईस्कूल तक की औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने वाले अनिल साहू ने पच्चीस वर्षों तक अथक परिश्रम कर इस अद्वितीय घड़ी का निर्माण किया। भारत, दुबई, टोक्यो, बीजिंग, सिंगापुर, मास्को, लंदन, पेरिस और न्यूयॉर्क-इन सभी प्रमुख देशों का समय एक साथ बताने वाली यह घड़ी उनके नाम से पेटेंट भी हो चुकी है। इस घड़ी की विशेषता यह है कि यह एक ही सुई से नौ देशों का समय दर्शाती है। यह न तो किसी विदेशी तकनीक का अनुकरण है और न ही किसी बड़े संस्थान की सहायता का परिणाम। यह तो एक कर्मयोगी की कल्पनाशक्ति, गणितीय सूझबूझ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उपजा अद्वितीय नवाचार है। जब राम मंदिर में पहली बार प्राण-प्रतिष्ठा हुई, तब अनिल साहू ने अपनी घड़ी को रामलला को समर्पित कर दिया। और अब जब पुनः राम दरबार की प्रतिष्ठा हो रही है, मंदिर ट्रस्ट द्वारा घड़ी की पुनः मांग की गई। उन्होंने इसे खरीदने का प्रस्ताव दिया, परंतु अनिल साहू ने यह घड़ी द्वितीय बार भी श्रद्धापूर्वक भेंट कर दी, बिना मूल्य लिए। यह न मात्र भक्ति का प्रतीक है, अपितु यह भी दर्शाता है कि उनके लिए यह घड़ी सौदे की नहीं, श्रद्धा की वस्तु है। तीन बेटियों के पिता और आज भी सब्जी का ठेला लगाने वाले अनिल साहू के जीवन में न तो सुविधाएं हैं, न ही कोई बड़ा संसाधन। किंतु उनके भीतर जो आत्मशक्ति, संकल्प और राष्ट्रभक्ति है, वही उन्हें विशिष्ट बनाती है। विज्ञान का सामान्यतः प्रयोग आधुनिक प्रयोगशालाओं और उच्च शिक्षण संस्थानों में देखा जाता है, पर यहाँ एक साधारण जन ने विज्ञान को अपने हाथों में आकार देकर रामलला के चरणों में अर्पित किया है।

रामलला की घड़ी तैयार! 9 देशों का टाइम बताएगी, सब्जी बेचने वाले ने 5 साल में  बनाकर पेटेंट कराया; ट्रस्ट को सौंपा

यह घड़ी केवल समय नहीं बताती - यह बताती है कि हुनर जाति, वर्ग या आर्थिक स्थिति का अपेक्षा रखने वाला नहीं होता। यह बताती है कि जब मन श्रद्धा से जुड़ता है और बुद्धि नवाचार से तो परिणाम होता है – एक चमत्कार, एक प्रेरणा, एक यशोगाथा। अनिल साहू की यह घड़ी आधुनिक विज्ञान, परंपरा और भक्ति का मिलन-बिंदु है। यह भारत की उस सच्ची आत्मा को दर्शाती है, जो मिट्टी से उठकर आकाश को छूने का साहस रखती है। वह घड़ी अब रामलला के मंदिर में है-समय बताती है पर उसकी सुइयों के साथ चलती है एक अदृश्य प्रेरणा, जो कहती है – "जहाँ श्रद्धा है, वहाँ सिद्धि निश्चित है।"