अयोध्या, उत्तर प्रदेश
प्रभु श्री राम की पावन नगरी अयोध्या एक बार फिर ऐतिहासिक पल की साक्षी बनने जा रही है। 22 जनवरी 2024 को भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद, अब 25 नवंबर को होने वाला भव्य ध्वजारोहण पूरे विश्व के लिए आस्था और दिव्यता का अद्भुत सन्देश लेकर आ रहा है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि मन्दिर पर ध्वजारोहण इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है? तो आइए
मिलकर जानते हैं इस परंपरा के महत्व को..
ध्वजारोहण का महत्व
-मन्दिर के शिखर पर ध्वज स्थापित करना केवल एक पूजा-विधि नहीं, बल्कि गहरी आध्यात्मिक परंपरा है।
-ध्वज यह संकेत देता है कि मंदिर का निर्माण अब पूर्ण हो चुका है और दैवीय
ऊर्जा का प्रवाह शुरू हो गया है।
-शास्त्रों के अनुसार, मंदिर का शिखर वह स्थान है
जहाँ से दिव्य शक्तियाँ प्रवेश करती हैं।
-धर्म-ध्वज ब्रह्मांडीय ऊर्जा और गर्भगृह के बीच एक अदृश्य कड़ी की तरह काम
करता है।
ध्वज मन्दिर का रक्षक
-दूर से दिखाई देने वाला ध्वज न सिर्फ भगवान की उपस्थिति का संकेत देता है
-मन्दिर और उसके आसपास के क्षेत्र को नकारात्मकता से भी बचाता है।
-ध्वज एक रक्षक कवच की तरह कार्य करता है, जिससे वातावरण में सकारात्मकता और शुभता बनी रहती है।इसलिए इसे मन्दिरका रक्षक भी कहा गया है।
प्राचीन
परंपरा का जीवंत प्रतीक है ध्वज
-सनातन धर्म में शिखर पर ध्वज चढ़ाने की परंपरा अत्यंत प्राचीन है।
-शास्त्र बताते हैं, ध्वज देवता की शक्ति और महिमा का
प्रतीक है।
-गरुड़ पुराण में भी वर्णन है कि मन्दिर पर फहराया गया ध्वज आसपास के क्षेत्र को पवित्र कर देता है और दिव्यता का एहसास कराता है। इसी कारण ध्वज स्थापना को अत्यंत शुभ कार्य माना गया है।
अयोध्या
में 25 नवंबर
का ऐतिहासिक क्षण
अयोध्या
में श्री राम मन्दिर का निर्माण सदियों के संघर्ष, आस्था
और समर्पण का परिणाम है। अब 25 नवंबर को शिखर पर लहराता भगवा
ध्वज इस दिव्य निर्माण की पूर्णता का प्रतीक बनेगा। यह ध्वजारोहण राम भक्तों की
भावना, धर्म की विजय और सत्य के उत्थान का ऐतिहासिक संकेत
होगा।
एक भक्त की दृष्टि से कहें तो 25 नवंबर को होने वाला यह भव्य ध्वजारोहण सिर्फ एक आयोजन नहीं, यह सनातन संस्कृति की विरासत, आस्था की जीत और दिव्यता के पुनर्जागरण का दिव्य स्वरुप है। प्रभु श्रीराम की अयोध्या एक बार फिर इतिहास रचने जा रही है, और हम सभी भक्त इस दिव्यता के साक्षी बनने को तैयार हैं।



