महाकुंभ में खूब महकी हाथरस की हींग, छाई रही बागपत की चादर; प्रयागराज में दुनिया ने देखी यूपी की कला
- प्रदर्शनी के दौरान 12.89 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के उत्पाद 45 दिनों में बिके, जिससे स्थानीय उत्पादकों को आर्थिक संबल मिला
- इन हस्तशिल्प उत्पादों ने न सिर्फ देश के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालुओं को प्रभावित किया, बल्कि विदेश से भी पर्यटकों ने इन उत्पादों की जमकर खरीदारी की।
प्रयागराज, महाकुंभ के दौरान उत्तर प्रदेश की पारंपरिक कला और कारीगरी ने न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक दर्शकों को भी आकर्षित किया। संगम तट पर डेढ़ महीने तक आयोजित महाकुंभ के दौरान 'एक जिला एक उत्पाद' (ओडीओपी) प्रदर्शनी में यूपी के विभिन्न जिलों के उत्कृष्ट हस्तशिल्प उत्पादों की शानदार बिक्री हुई, जिससे प्रदेश के कारीगरों को वैश्विक मंच पर पहचान मिली। प्रदर्शनी के दौरान 12.89 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के उत्पाद 45 दिनों में बिके, जिससे स्थानीय उत्पादकों को आर्थिक संबल मिला।
प्रदर्शनी में प्रयागराज का मूंज शिल्प, मुरादाबाद की पीतल कारीगरी, प्रतापगढ़ का आंवला, मथुरा के ठाकुर जी के पोशाक, मऊ की साड़ियां, हाथरस की हींग, बागपत की चादर, अलीगढ़ का मेटल क्राफ्ट, चित्रकूट के खिलौने जैसे उत्पादों ने मेले में आई भीड़ को अपनी ओर आकर्षित किया। इन हस्तशिल्प उत्पादों ने न सिर्फ देश के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालुओं को प्रभावित किया, बल्कि विदेश से भी पर्यटकों ने इन उत्पादों की जमकर खरीदारी की।
हाथरस की हींग, जिसकी खुशबू से प्रदर्शनी स्थल महकता रहा, सबसे प्रमुख आकर्षणों में से एक रही। शुद्ध हींग के पैक छोटे और बड़े आकारों में उपलब्ध थे, और 21 लाख रुपये से अधिक की हींग बिकने का आंकड़ा छुआ। वहीं, बागपत की चादर, मऊ की साड़ियां, चित्रकूट के खिलौने और मुरादाबाद की पीतल कारीगरी ने भी बड़ी बिक्री की।
ओडीओपी प्रदर्शनी में कुल 142 स्टाल्स लगाए गए थे, जिनमें प्रदेश के हर जिले के विशेष उत्पाद प्रदर्शित किए गए। मऊ की पारंपरिक और आधुनिक डिजाइन वाली साड़ियां महिलाओं के बीच खासा लोकप्रिय रही। मथुरा के ठाकुर जी की पोशाक और शृंगार सामग्री को श्रद्धालुओं ने श्रद्धा भाव से खरीदा। चित्रकूट के पारंपरिक खिलौने भी बच्चों और उनके अभिभावकों के बीच बिके। मुरादाबाद की पीतल मूर्तियां और सजावटी सामान विदेशी पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बने।
इस प्रदर्शनी ने न केवल यूपी के कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त किया, बल्कि प्रदेश की कला को भी वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। प्रदर्शनी से हस्तशिल्पियों को अपने हुनर को दिखाने का एक बेहतरीन मौका मिला। ओडीओपी योजना के तहत उत्पादकों को दिए गए सहयोग से उनके उत्पाद अब न केवल स्थानीय बाजारों तक, बल्कि विदेशों तक भी पहुंचने लगे हैं।
प्रमुख उत्पादों की बिक्री:
- मऊ की साड़ी: ₹64,50,310
- चित्रकूट के खिलौने: ₹50,12,470
- मुरादाबाद की पीतल सामग्री: ₹45,41,130
- मथुरा की ठाकुर जी की पोशाक: ₹41,49,040
- बागपत की चादर: ₹36,17,000
उपायुक्त उद्योग शरद टंडन ने कहा, "इस प्रदर्शनी से न केवल उत्पादों की बिक्री बढ़ी, बल्कि हस्तशिल्पियों को एक वैश्विक मंच भी मिला, जिससे उनके व्यवसाय में नई जान आई।"
अजय कुमार, एक खिलौना निर्माता ने कहा, "यह प्रदर्शनी हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि इसने हमें अपने उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का अवसर दिया।"
हस्तशिल्पियों ने इस पहल को एक नए व्यापार अवसर के रूप में देखा, जिससे उनके हौसले को बढ़ावा मिला। "ओडीओपी योजना ने हमारे उत्पादों को न केवल देशभर में बल्कि विदेशों में भी पहुंचाया," कहा मीना कुमारी, मथुरा की ठाकुर जी की पोशाक निर्माता ने।
कुल मिलाकर, महाकुंभ में हुई इस प्रदर्शनी ने यूपी के पारंपरिक उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई और प्रदेश के हस्तशिल्पियों को एक नया व्यापारिक मार्गदर्शन प्रदान किया।