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भारत ने अंतरिक्ष डॉकिंग में रचा इतिहास, SpaDeX मिशन की सफलता से मिली नई तकनीक

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बेंगलुरु। भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने SpaDeX (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) मिशन के तहत दो सैटेलाइट मॉड्यूल को अंतरिक्ष में जोड़ने (डॉकिंग) में सफलता प्राप्त की है। यह तकनीक अब तक केवल तीन देशों - अमेरिका, रूस और चीन के पास थी। 16 जनवरी, 2025 को भारत इस विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है।

डॉकिंग क्या है?

डॉकिंग प्रक्रिया में अंतरिक्ष में अलग-अलग सैटेलाइट मॉड्यूल को एक-दूसरे से जोड़ा जाता है। यह प्रक्रिया ऐसे है जैसे पृथ्वी पर पुल के अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर एक संपूर्ण संरचना बनाई जाती है। डॉकिंग तकनीक का उपयोग अंतरिक्ष में वस्तुओं के आदान-प्रदान, वैज्ञानिक प्रयोगों, और स्पेस स्टेशन निर्माण के लिए किया जाता है।

SpaDeX मिशन की प्रमुख बातें :

1. सैटेलाइट मॉड्यूल्स :

SDX-01 (चेसर सैटेलाइट): यह सैटेलाइट लक्ष्य की ओर बढ़ा।

SDX-02 (टार्गेट सैटेलाइट): इसे चेसर सैटेलाइट से जोड़ा गया।

दोनों सैटेलाइट का वजन 220 किलोग्राम है।

2. प्रक्रिया का विवरण:

30 दिसंबर, 2024 को PSLV C-60 रॉकेट के जरिए दोनों सैटेलाइट को 470 किमी की ऊंचाई और 55 अंश के कोण पर छोड़ा गया।

शुरुआत में दोनों मॉड्यूल 20 किमी की दूरी पर थे।

7 जनवरी, 2025 को डॉकिंग प्रक्रिया शुरू हुई और 16 जनवरी को पूरी हुई।

3. डॉकिंग के चरण:

20 किमी की दूरी से धीरे-धीरे सैटेलाइट को पास लाया गया।

10 जनवरी को 1.5 किमी की दूरी तय की गई।

12 जनवरी को 100 मीटर और फिर 16 जनवरी को सटीकता के साथ दोनों सैटेलाइट को जोड़ा गया।

4. अंतरिक्ष प्रयोग:

सफल डॉकिंग के बाद, दोनों सैटेलाइट लगभग दो साल तक वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए उपयोग किए जाएंगे।

SDX-01 पर कैमरे और सेंसर लगे हैं, जो अंतरिक्ष की तस्वीरें और डेटा एकत्र करेंगे।

महत्व और भविष्य की योजनाएँ -

SpaDeX मिशन की सफलता भारत को अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन निर्माण और मानव अंतरिक्ष मिशन की तैयारी में मदद करेगी। यह तकनीक चंद्रमा और मंगल पर अभियानों के लिए भी उपयोगी होगी।

भारत ने 2035 तक अपना स्पेस स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा है।

स्पेस स्टेशन निर्माण के लिए 2028 से हिस्सों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

यह सफलता भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन और चंद्र अभियान के लिए एक मील का पत्थर है।

प्रधानमंत्री की बधाई -

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को बधाई देते हुए कहा, "यह उपलब्धि भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम सशक्त होगा, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में भी योगदान मिलेगा।"

SpaDeX मिशन की यह उपलब्धि भारत को अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी। यह मिशन भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों का आधार बनेगा और वैश्विक अंतरिक्ष कार्यक्रमों में देश की स्थिति को और मजबूत करेगा।