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काशी विश्वनाथ मंदिर के कॉरिडोर के तीन साल पूरे

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- डमरू की थाप पर नांचे भक्त, मनमोहक सवारियों ने मोहा मन 

वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर के कॉरिडोर के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में वाराणसी में भव्य आयोजन किया गया, जिसमें धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की गई। इस विशेष अवसर पर भगवान शिव के रूप में एक अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें शिव को नरकंकाल पर सवार दिखाया गया। साथ ही, काली मां के रूप में आग उगलने वाला रूप भी प्रस्तुत किया गया, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गया।

इसके अतिरिक्त, इस अवसर पर 101 डमरू की ध्वनि पर तांडव नृत्य प्रस्तुत किया गया, जो शिव के तांडव रूप को दर्शाता था। यह नृत्य विशेष रूप से आकर्षक था और श्रद्धालुओं ने इसे बेहद श्रद्धा भाव से देखा। यह आयोजन काशी विश्वनाथ के तीन साल में हुए विशाल विकास को समर्पित था।

काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण के बाद से मंदिर परिसर का रूप पूरी तरह बदल गया है। पहले से अधिक भक्तों को आकर्षित करने वाला यह स्थल अब और भी भव्य और सुविधाजनक हो गया है। मंदिर के विकास में कई नई संरचनाओं का निर्माण हुआ है, जैसे कि एक नया प्रवेश द्वार और श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं। इस दौरान मंदिर में विशेष पूजा भी आयोजित की गई, जिसमें काशी के श्रद्धालुओं ने शिव की पूजा की।

इसके अलावा, माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति की 100 साल बाद घर वापसी भी इस आयोजन का हिस्सा थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा कर उसे काशी विश्वनाथ धाम में पुनः स्थापित किया। यह मूर्ति 100 साल पहले कनाडा चली गई थी, और अब इसे भव्य तरीके से काशी लाया गया।

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम काशी की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को सम्मान देने के साथ-साथ इस क्षेत्र के विकास को भी प्रदर्शित करते हैं।