काशी के कबीर नगर में रहने वाली भावना अग्रवाल अभावग्रस्त बच्चों के लिए आशा की वो किरण बनकर आई जिसने जीवन से अशिक्षा के अन्धकार को सदैव के लिए मिटा दिया। भावना जरूरतमंद बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देती हैं।
दरअसल भावना ने अपने घर के पास गरीब बच्चों को लड़ते-झगड़ते, गाली देते और अपना समय
बर्बाद करते देखा था, उन्होनें बच्चों को पहले समझाया, फिर धीरे-धीरे इन बच्चों में सुधार आने लगा। इसके बाद उन्होनें बच्चों को पार्क में बिठाकर
पढ़ाना शुरू किया, इससे उनके मन में पढ़ाई के प्रति लगन पैदा हुई। पहले दो बच्चे, फिर चार और अब उनके पास 50 से अधिक बच्चे पढ़ने के
लिए आते हैं।
छह महीने पहले शुरू हुई इस पाठशाला में बेटियों की संख्या अधिक है। ऐसे में भावना ने सोचा क्यों न इन बेटियों को शिक्षा के साथ रोजगार से
जोड़ा जाए। इसके लिए उन्होंने बेटियों को किताबी ज्ञान के साथ मेहंदी का प्रशिक्षण
भी देना शुरू किया। ताकि ये किशोरियां अपने हुनर से जिंदगी संवार सकें।
2 बच्चों से शुरू हुई यह पाठशाला आज इतनी बढ़ गई है कि घर में बच्चों को बैठाकर पढ़ाने के लिए जगह कम पड़ जाती है। भावना को इस बात
का संतोष है कि उनके प्रयास से शायद इन बच्चों का जीवन संवर सकता है।