आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि आज है.
आज भगवान जगन्नाथ और बलदाऊ जी अपनी बहन सुभद्रा संग रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण के
लिए निकलेंगे. ज्येष्ठ पूर्णिमा पर अभिषेक-स्नान के बाद जगत के स्वामी की तबीयत
खराब हो गई थी. स्नान पूर्णिमा पर बीमार हुए भगवान जगन्नाथ आज सुबह ठीक हो गए है. 53 साल बाद इस साल पुरी की
रथयात्रा दो दिनों की होगी, इससे पहले 1971 में भी रथयात्रा दो दिन चली थी. रथ यात्रा में
शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में साधु-संत पहुंच चुके है.
भगवान जगन्नाथ जी छह बार
महाप्रसाद चढ़ाया जाता है. भोजन में सात विभिन्न प्रकार के चावल, चार प्रकार की दाल, नौ प्रकार की सब्जियां और अनेक प्रकार की
मिठाइयां परोसी जाती हैं. मीठे व्यंजन तैयार करने के लिए यहां शक्कर की बजाए अच्छे
किस्म का गुड़ प्रयोग में लाया जाता है. आलू टमाटर और फूलगोभी का उपयोग मंदिर में
नहीं होता है.
रथयात्रा में 1 हाथी, 2 घोड़े, 1 डमरू दल, 1 बैंड पार्टी के साथ ध्वज
पताकांए चलेंगी. भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शाम 4 बजे से शुरू होगी. गुलाब व मोगरा के फूलों से
ठाकुरजी का श्रृंगार किया जाएगा. वहीं गेंदे के फूलों से रथ को सजाया गया है.
यात्रा समाप्ति के बाद ठाकुरजी की आरती व नजर उतारी जाएगी. इसके बाद मूंग की दाल, गुड़ एवं फलों का भोग लगाकर
भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरण किया जाएगा.