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अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा के बाद PM मोदी की पहली ‘मन की बात’, बोले – ‘संविधान निर्माताओं के लिए प्रेरणा स्रोत थे प्रभु राम’

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इस महीने की 22 तारीख को अयोध्‍या में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा ने देश के करोड़ों लोगों को एक सूत्र में पिरोया है। आज आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में राष्‍ट्र को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश ने इस अवसर पर सामूहिकता की अद्भुत शक्ति देखी, जो सरकार के विकसित-भारत संकल्‍प का प्रमुख आधार है।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरे देश ने 22 जनवरी की शाम को राम ज्‍योति प्रज्‍ज्‍वलित की और राम भजन गाये। भगवान राम के शासन को भारतीय संविधान निर्माताओं के लिए प्रेरणास्रोत बताते हुए श्री मोदी ने देव से देश और राम से राष्‍ट्र के अपने कथन का उल्‍लेख किया।

 

प्रधानमंत्री ने अपने आग्रह पर लाखों लोगों के मकर संक्रांति से लेकर 22 जनवरी तक स्‍वच्‍छता अभियान में शामिल होने पर प्रसन्‍नत व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने कहा कि लोगों ने अपने-अपने क्षेत्रों में धार्मिक स्‍थलों की साफ-सफाई की और इसकी तस्‍वीरें और वीडियो भेजे। श्री मोदी ने कहा कि यह अभियान रुकना नहीं चाहिए। उन्‍होंने कहा कि सामूहिकता की शक्ति देश को सफलता की नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।

 

श्री मोदी ने कहा कि यह 2024 का पहला मन की बात कार्यक्रम है और अमृतकाल में एक नई उमंग और तरंग है। उन्‍होंने कहा कि दो दिन पहले ही देश ने 75वां गणतंत्र दिवस उत्‍साह और उल्‍लास से मनाया। उन्‍होंने कहा कि इस वर्ष भारतीय संविधान और सर्वोच्‍च न्‍यायालय के भी 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। लोकतंत्र के ये उत्‍सव भारत को लोकतंत्र की मातृका के रूप में और सशक्‍त करते हैं।

 

श्री मोदी ने कहा कि हमारा संविधान इतने गहन मंथन के बाद बना है कि इसे जीवंत दस्‍तावेज कहा जाता है। संविधान की मूल प्रति के भाग 3 में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन है और उल्‍लेखनीय है कि भाग 3 के आरंभ में संविधान निर्माताओं ने भगवान राम, माता सीता और लक्षमण जी के चित्रों को स्‍थान दिया।

 

प्रधानमंत्री ने कुछ दिन पहले घोषित पद्म पुरस्‍कारों का भी उल्‍लेख किया। उन्‍होंने कहा कि बिल्‍कुल जमीनी स्‍तर से जुड़कर समाज में बड़े बदलाव लाने वाले अनेक लोगों को पद्म सम्‍मान दिये गये हैं। श्री मोदी ने बिना किसी प्रचार-प्रसार के समाज सेवा में लगे लोगों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि पद्म पुरस्‍कार पाने वाले अधिकांश लोग अलग तरह का काम कर रहे हैं- जैसे एंबुलेंस सेवा उपलब्‍ध कराना, प्रकृति के संरक्षण का प्रयास, धान की 650 से अधिक किस्‍मों का संरक्षण तथा मादक पदार्थ और शराब की लत की रोकथाम के लिए समाज में जागरूकता लाना।


उन्‍होंने कहा कि यह अत्‍यंत प्रसन्‍नता की बात है कि पद्म पुरस्‍कार पाने वालों में 30 महिलाएँ हैं। ये महिलाएँ जमीनी स्‍तर पर अपने कार्यों से समाज और देश को आगे ले जा रही हैं। श्री मोदी ने कहा कि प्राकृत, मालवी ओर लंबाडी भाषाओं में उत्‍कृष्‍ट कार्य करने वालों को भी यह पुरस्‍कार दिया गया है। भारतीय संस्‍कृति और विरासत को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की दिशा में प्रयास करने वाले विदेश के भी कई लोग पद्म पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किये गये हैं। इनमे फ्रांस, ताइवान, मैक्सिको और बंग्लादेश के नागरिक शामिल हैं।

 

प्रधानमंत्री ने उल्‍लेख किया कि पद्म पुरस्‍कारों की प्रणाली पिछले दशक में पूरी तरह बदल चुकी है। अब यह पीपल्‍स पद्म बन चुका है। श्री मोदी ने कहा कि अब लोग स्‍वयं को इस पुरस्‍कार के लिए नामित करा सकते हैं और यही वजह है कि वर्ष 2014 की तुलना में इस बार 28 गुना अधिक नामांकन मिले। उन्‍होंने कहा कि पद्म पुरस्‍कारों की प्रतिष्‍ठा और विश्‍वसनीयता लगातार बढ़ती जा रही है। उन्‍होंने पद्म सम्‍मान पाने वाले सभी लोगों को फिर अपनी शुभकामनाएं दीं।

 

अंगदान के विषय पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में देश में एक हजार से भी अधिक लोगों ने मृत्‍यु के बाद अंगदान किये। उन्‍होंने ऐसा उदार निर्णय लेने वाले और उनकी अंतिम इच्‍छा का सम्‍मान करने वाले परिजनों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि अनेक संगठन भी इस दिशा में बहुत ही प्रेरक काम कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि कुछ संगठन लोगों को अंगदान के लिए जागरूक कर रहे हैं और कुछ संस्थाएं अंगदान की इच्‍छा रखने वाले लोगों के पंजीकरण में मदद कर रही हैं। श्री मोदी ने कहा कि ऐसे प्रयासों के कारण समाज में अंगदान के प्रति सकारात्मक माहौल बन रहा है और लोगों का जीवन भी बचाया जा रहा है।

 

श्री मोदी ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की मदद से आयुर्वेद, सिद्ध और युनानी औषधि से संबंधित डेटा और शब्‍दावली का वर्गीकरण किया है। उन्‍होंने कहा कि इससे आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्‍सा पद्यति में रोगों और उपचार से जुड़ी शब्‍दावली की कोडिंग कर दी गई है। इसकी मदद से सभी डॉक्‍टर अब पर्ची पर एक जैसी भाषा लिख पाएंगे और रोगियों को दूसरे डॉक्‍टर के पास जाकर भी चिकित्‍सा कराने में आसानी होगी। इस पर्ची से डॉक्‍टर भी रोगी की बीमारी, उपचार और दवाओं के बारे में जान सकेंगे। शोध कार्यों से जुड़े लोगों को भी इससे फायदा होगा और अन्‍य देशों के वैज्ञानिकों को भी रोग, औषधि और इसकी प्रभावकारिता के बारे में जानकारी मिल सकेगी। प्रधानमंत्री ने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि आयुष पद्धति से जुड़े चिकित्‍सक इस कोडिंग को जल्‍द से जल्‍द अपनाएंगे।

 

प्रधानमंत्री ने अरुणाचल प्रदेश की जड़ी-बूटी औषधि विशेषज्ञ सुश्री यानुंग जामोह लैगोकी का भी उल्‍लेख किया। उन्‍होंने आदि जनजाति की पारंपरिक चिकित्‍सा पद्यति को पुनर्जीवित करने के लिए बहुत काम किया है। इस बार सुश्री यानुंग को भी अपने योगदान के लिए पद्म पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया है। श्री मोदी ने छत्तीसगढ़ के वैद्य हेमचंद मांझी का भी उल्‍लेख किया, जिन्‍हें पद्म पुरस्‍कार दिया गया है। श्री मांझी आयुष पद्धति की मदद से नारायणपुर में पांच दशक से भी अधिक समय से गरीब रोगियों की सेवा कर रहे हैं। श्री मोदी ने आयुर्वेद और जड़ी-बूटियों के संरक्षण में बड़ी भूमिका निभाने वाले इन लोगों की सराहना की।

 

25 जनवरी को मनाये गए राष्‍ट्रीय मतदाता दिवस का उल्‍लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश में लगभग 96 करोड़ मतदाता है। यह संख्‍या अमरीका की कुल जनसंख्‍या की लगभग तीन गुनी और पूरे यूरोप की कुल आबादी के लगभग डेढ़ गुनी है। श्री मोदी ने देश में लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने के अथक प्रयासों के लिए निर्वाचन आयोग की प्रशंसा की।

 

प्रधानमंत्री ने संतोष व्‍यक्‍त किया कि जहां दुनिया के अनेक देशों में मतदान प्रतिशत घट रहा है, वहीं भारत में यह लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 1951-52 में, जब देश में पहली बार चुनाव हुए थे, केवल 45 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले थे। श्री मोदी ने कहा कि आज इस आंकड़े में महत्‍वपूर्ण वृद्धि हो चुकी है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने भी कानून में सुधार किए है, ताकि युवा मतदाताओं को नाम दर्ज कराने के अधिक अवसर मिले। श्री मोदी ने पहली बार वोट डालने की पात्रता हासिल करने वाले मतदाताओं से अपना नाम राष्‍ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल और मतदाता हेल्‍प लाइन ऐप के जरिए मतदाता सूची में दर्ज कराने को कहा।