जम्मू कश्मीर. अनंतनाग में स्थित ऐतिहासिक माता उमा भगवती मंदिर रविवार को भक्तों के लिए पुनः खोला गया. मंदिर को लगभग 34 वर्षों के अंतराल के बाद फिर से खोला गया है. पुन: उद्घाटन समारोह के दौरान, देवी प्रतिमा को गर्भगृह में रखा गया. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंदिर के कपाट खोलने के बाद माता के दर्शन किए. इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे.
दक्षिणी कश्मीर का अनंतनाग कभी आतंक का गढ़ रहा है. साल 1990 में यहां आतंकवाद के कारण स्थानीय हिन्दुओं के पलायन करने के साथ ही माता उमा भगवती देवी मंदिर भी बंद हो गया था. हिंसा के दौर में मंदिर में आग लगा दी गई थी.
भक्तों को ठहरने के लिए यहां दो यात्री निवास थे. इनमें एक बार में डेढ़ हजार श्रद्धालु ठहर सकते थे. ये यात्री निवास भी आतंक की भेंट चढ़ गए थे. मंदिर में स्थापित माता की मूर्ति भी क्षतिग्रस्त हो गई थी. यह मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में रहा.
मंदिर का जीर्णोद्धार
जीर्णोद्धार कार्य के दौरान मंदिर के सभी हिस्सों की मरम्मत की गई है. काम पूरा होने के बाद माता की मूर्ति को विधि-विधान से मंत्रोच्चार के बीच गर्भगृह में प्रतिस्थापित किया गया. यह मूर्ति राजस्थान से मंगवाई गई है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद की उपस्थिति में रविवार को मंदिर को उद्घाटन समारोह के दौरान भक्तों के लिए खोल दिया गया.
मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना था कि यहां आकर शांति का अनुभव हो रहा है. यहां पर सभी धर्मों के लोग पहुंचे हैं. अब अन्य मंदिरों के जीर्णोद्धार का भी निर्णय हुआ है. उम्मीद है कि कश्मीर में सभी मंदिर पहले की तरह हो जाएंगे. उमा भगवती मंदिर की देखरेख कर रहे ट्रस्ट के उपाध्यक्ष पुष्कर नाथ कौल ने बताया कि मंदिर के कपाट खोलने से पहले हवन व यज्ञ किया गया.
मंदिर का इतिहास
माता उमा भगवती मंदिर का इतिहास सतयुग से जुड़ा है. माता पार्वती ने सती होने से पहले इच्छा की थी कि मैं फिर से महादेव की अर्द्धांगिनी बनूं. वह पुनः जन्म लेती है और उन्हें उमा नाम से बुलाया गया.
उन्होंने अपनी मां मीना से आज्ञा प्राप्त कर महादेव को खोजते हुए ब्रारीआंगन (शांगस का वह स्थान जहां यह मंदिर स्थित है) पहुंच गई. भगवती उमा ने इसी स्थल पर तपस्या की थी. इसके बाद जगह का नाम उमा नगरी पड़ गया. इसी स्थान पर मंदिर बनाया गया और नाम उमा भगवती देवी मंदिर पड़ा.