समय बदल रहा है। कल तक जो महिलाएं चार दिवारी के भीतर रहा करती थी आज वे न केवल घर के बाहर निकल रही हैं बल्कि अपनी मेहनत और परिश्रम से आय अर्जित कर अपना घर भी चला रही हैं। अपनी इस रिपोर्ट में आज हम उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा की रहने वाली उन घरेलु महिलाओं के बारे में बताएंगे जो अलग-अलग एनजीओं और समूहों से जुड़कर न केवल स्वावलम्बन के रास्ते पर चल पड़ी हैं बल्कि अपने परिवार को भी आर्थिक रुप से मजबूत कर रही हैं।
दरअसल यहां की महिलाएं अपने घर के काम के साथ-साथ एनजीओ और विभिन्न समूह से जुड़कर काम भी सीख रही हैं और अपना स्वयं का रोजगार भी कर रही है। आपको बता दें कि अल्मोड़ा में महिला प्रेरणा एवं उत्थान समिति के साथ 1500 महिलाएं जुड़ कर काम कर रही हैं तो वहीं 600 महिलाएं समूहों से जुड़कर स्वयं को आत्मनिर्भर बना रही हैं।
इन समूहों और एनजीओं के द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें अलग-अलग प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को उत्तराखण्ड की लोक कला ऐपण, ऐपण वाले फाइल फोल्डर, सिलाई, बुनाई जैसे कई प्रकार की कुशलता सिखाई जाती है। गृहिणी जयंती बिष्ट बताती हैं कि पहले वह घर का काम, खेती बाड़ी और बच्चों की देखभाल किया करती थी, लेकिन जब से उन्होंने एनजीओ को ज्वाइन किया है तबसे उनकी जिन्दगी में काफी बदलाव आया है।
अब वह घर का खर्च स्वयं उठा लेती हैं साथ ही घर चलाने में पति का सहयोग भी करते हैं। गृहिणी मुन्नी रावत बताती हैं कि वह साल 2015 से इस एनजीओ के साथ जुड़ी हुई है। यहां पर सिलाई बुनाई, ऐपण के अलावा विभिन्न तरीके के कामों में महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार से जोड़ा जाता है, जिससे वे आत्मनिर्भर हो रही हैं। महिलाशक्तिकरण के साथ ही यह विकसित होते भारत की नई तस्वीर है।
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पहाड़ की महिलाओं को मजबूत कर रहे NGO, घर संभालने के साथ परिवार को भी दे रहीं आर्थिक मजबूती
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