किसी ने सही कहा है कि 21 वीं सदी की महिलाएं इस सदी को अपने नाम करने की क्षमता रखती हैं। जीवन के हर क्षेत्र में आज महिलाओं का दम-खम दिखाई देने लगा है। एक समय था जब ग्राम प्रधान का नाम सुनते ही आँखों के सामने किसी पुरुष का चेहरा सामने आता था लेकिन आज समय बदल गया है, आज देश के अनेक गाँवों में महिला प्रधान गाँव के विकास की नई कहानी लिख रही हैं।
आज की इस स्टोरी में हम आपको एक ऐसी ही प्रधान की कहानी बताने जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के डीडीहाट विकास खंड की युवा ग्राम प्रधान ममता बोरा जी की जिन्हें उनके योगदान हेतु स्वतंत्रता दिवस पर सम्मानित किये जाने की घोषणा से पूरा गाँव में खुशी का वातावरण है।
अपनी लोकप्रिय छवि के चलते ममता ने दो पुरुष प्रत्याशियों को पीछे छोड़कर दूसरी बार ग्राम प्रधान का चुनाव जीता है। उन्होंने अपनी ग्राम पंचायत को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया और शौचालय और कूड़ेदान भी बनवाये। 560 की आबादी वाले गाँव की सूरत बदल कर रख देने वाली ममता बताती हैं कि वे गाँव की बहू हैं और उनका संयुक्त परिवार है।
उनका उद्देश्य अपने गाँव को आदर्श गाँव बनाना है। स्वच्छता और स्वास्थ्य, हर घर जल, विद्यालय की सुचारू व्यवस्था, किसानों को बीज वितरण, सड़क निर्माण जैसी गाँव की मूलभूत आवश्यकताओं को स्थापित करने के उनके सफल प्रयसों को देखते हुए उन्हें स्वतंत्रता दिवस पर सम्मानित करने की घोषणा की गयी है। ममता जैसी महिलाएं न केवल नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही हैं बल्कि ग्रामोदय के माध्यम से समर्थ भारत के विकास में भी योगदान दे रही हैं।