अब भ्रष्टाचार और पारिवारवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की तैयारी
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भ्रष्टाचार के
खिलाफ लड़ाई में किसी को नहीं जाएगा बख्शा
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आगामी 25 वर्ष नारी सशक्तीकरण के होंगे
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पीएम मोदी ने कौन
से पांच प्राण तत्वों को केंद्र में रखकर काम करने को कहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत काल के प्रथम प्रभात को स्वतंत्रता की 76 वीं वर्षगाठ
पर लालकिले से ऐतिहासिक सम्बोधन दिया । इस दिन
पूरा भारत हर घर तिरंगा उत्सव मनाते हुए
तिरंगे के रंगों में डुबा था और प्रत्येक भारतवासी आनंद और उल्लास में
झूम रहा था । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह भाषण राष्ट्र प्रथम की भावना से ओत
प्रोत, राजनीति से परे और भारत को विश्व गुरु के पद पर आसीन करने कि दृष्टि, दिशा और
कार्ययोजना देने वाला था ।
जहाँ जन सामान्य प्रधानमंत्री के भाषण को लेकर उत्साहित है वहीं राजनैतिक दलों
में खलबली मची हुई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब आगे क्या कदम उठाने जा रहे
हैं ? प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में आगामी 25 वर्षों के विकास का रोडमैप
खींच दिया है और यह भी बता दिया है कि भ्रष्टाचार और परिवारवाद देश की सबसे बड़ी
समस्याएँ हैं और यदि इनका तुरंत समाधान नहीं निकाला गया तो भारत अपने
सपने पूरे नहीं कर पाएगा ।
प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार से भ्रष्टाचार और परिवारवाद के खिलाफ लड़ाई में जन
सहयोग मांगा है उससे जिन लोगों पर भ्रष्टाचार के केस चल रहे हैं या फिर जिन लोगों
पर ईडी और सीबीआई की कार्यवाही चल रही है अब उन सभी के लिए चेतने का समय आ गया है।
प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई में किसी
को भी बख्शा नहीं जाएगा वह चाहे कितने ही उच्चपद पर हो या फिर रह चुका हो।
प्रधानमंत्री का यह कहना बहुत ही महत्वपूर्ण है कि आज जिन लोगों पर भ्रष्टाचार के
आरोप सिद्ध हो चुके हैं ऐसे लोगों का महिमामंडन किया जा रहा है तथा कुछ लोग उनका
समर्थन भी करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हम भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक
लड़ाई के कालखंड में कदम रख रहे हैं। भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है उससे देश को लड़ना ही होगा। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने
देश को लूटा है उनको लौटाना भी पड़े।
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने पंच प्राण तत्वों की बात की और कहा कि
आने वाले 25 साल में हमें इन पांच प्राण तत्वों को केंद्र में रखकर काम करना है। ये पांच
प्राण तत्त्व हैं – विकसित भारत, गुलामी की रंच मात्र सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और
एकजुटता तथा नागरिकों के कर्त्तव्य। इन प्राण तत्वों को प्रधानमंत्री ने विस्तार
पूर्वक उदहारण के साथ स्पष्ट किया।
प्रधानमत्री जी ने कहा अनुभव कहता है कि एक बार हम संकल्प लेकर चल पड़े तो
निर्धारित लक्ष्यों को पार कर लेते हैं। यही करण है कि आजादी के इतने दशकों के बाद विश्व का भारत
की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। दुनिया समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर
खोजने लग गयी है। विश्व का यह बदलाव, उसकी सोच में यह परिवर्तन 75 साल की हमारी
यात्रा का परिणाम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम स्वच्छता अभियान ,वैक्सीनेशन,
ढाई करोड़ लोगों
को बिजली कनेक्शन , खुले में शौच से मुक्ति रिनीवल एनर्जी हम सभी मानकों पर
संकल्प से बढ़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति का
उल्लेख करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय
शिक्षा नीति गुलामी की सोच से मुक्ति का रास्ता है। आजादी के 75 वर्षों के बाद भी देश के कई राज्यों में भाषा को लेकर
विवाद उठते रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के माध्यम से सभी
आंदोलनकारियों को साफ संदेश देते हुए कहा कि हमें देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। जब हम अपनी धरती
से जुड़ेंगे तभी ऊंचा उड़ेंगे और तभी
विश्व को समाधान दे पाएंगे। उन्होंने कहा
कि मोटा धान और संयुक्त परिवार हमारी विरासत का हिस्सा है। पर्यावरण की सुरक्षा
हमारी विरासत में जुड़ी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जीव में भी शिव देखते हैं हम
वो लोग हैं जो नर में नारायण देखते हैं । हम वो लोग हैं जो नारी को नारायणी कहते
हैं। हम वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं और यही हमारा सामर्थ्य है।
उन्होंने कहा कि जब हम विश्व के सामने
स्वयं पर गर्व करेंगे तो विश्व भी हमें
उसी भाव से देखेगा । अब हमें किसी भी तरह की गुलामी से मुक्ति पानी होगी। आखिर हम
कब तक दूसरों के प्रमाणपत्रों पर आश्रित
रहें? इसी के साथ प्रधानमंत्री ने परोक्ष रूप में उन लोगों को भी संदेश दिया जो समय-
समय पर हिंदू देवी- देवताओं व सनातन संस्कृति का अपमान करते रहते हैं।
नागरिको के कर्तव्य का उल्लेख करते हुए कहा कि नागरिकों का कर्तव्य प्रगति का रास्ता तैयार करता है। यह मूलभूत प्राण शक्ति है। बिजली की बचत,
खेतों को मिलने वाले पानी का पूरा प्रयोग और केमिकल मुक्त
खेती हर क्षेत्र में नागरिकों की जिम्मेदारी और भूमिका बनती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने
संबोधन में एक बार फिर नारी सम्मान की बात
करते हुए कहा कि नारी का अपमान एक विकृति
है जिससे मुक्ति का रास्ता खोजना ही होगा। यह सर्वविदित तथ्य है कि देश का नारी समाज नरेन्द्र मोदी जी के प्रति बहुत ही सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है और प्रधानमंत्री जी भी महिला सशक्तीकरण व उनकी सुरक्षा के लिए बहुत ही
कठोर रहते हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि आगामी 25 वर्ष नारी
सशक्तीकरण के होने वाले हैं जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि आगामी वर्षों में
सरकार नारी सशक्तरीकरण हेतु केंद्र व
भाजपा नीट राज्य सरकारें महत्वपूर्ण कदम
उठाने जा रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में “सबका साथ -सबका विकास” के साथ अब
सबका विश्वास और सबका प्रयास भी कहते हैं। इसी प्रकार प्रधानमंत्री ने ”जय जवान,
जय किसान,
और जय विज्ञान”
के नारे में अब ”जय अनुसंधान“ को भी जोड़ दिया है। जय अनुसंधान का नया नारा देते
हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब देश को
विकास के लिए नये -नये अनुसंधानों की महती आवश्यकता है। हमारे देश
में आजादी के 75 वर्षों के बाद भी अनुसंधान की गति बहुत कम है जिसे अब हमें
बढ़ाना ही होगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आत्मनिर्भर भारत का भी संदेश दिया और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए
जनमानस का आहवान किया ताकि हम किसी भी प्रकार की विदेशी वस्तुओं पर निर्भर न रहें।
उन्होंने बताया कि हम किस प्रकार से बच्चों के खिलौनों के क्षेत्र में तेज गति से
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। अब हम रक्षा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी
आत्मनिर्भर हो रहे हैं। तेजस हेलीकाप्टर और ब्रहमोस जैसी मिसाइल अब हर कोई हमसे
खरीदना चाह रहा है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का प्रारंभ आज़ादी के मतवाले क्रांतिकारियों तथा नेताओं को नमन के साथ किया
था जिसमें वीर सावरकर जी का नाम भी उल्लिखित था और इसने स्वाभाविक रूप से
कांग्रेसियों और वामपंथियों को तकलीफ हुयी, इसी प्रकार क्रांतिकारियों
का नाम भी उन्हें नहीं भाया । आजादी के 75 वर्षों में किसी भी प्रधानमंत्री का यह पहला
ऐसा संबोधन था जिसमें विदेश नीति तथा आर्थिक नीतियों का किसी भी प्रकार से बखान
नहीं किया गया। यह पहला ऐसा भाषण था जिसमें किसी नई योजना की घोषणा नहीं की गयी ।
यह पहला भाषण था जिसमें भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में देखने का संकल्प लेकर
विश्व के सबसे अग्रणी राष्ट्रों के साथ रखा गया । यह पहला भाषण था जिसमें भारत को
पर-मुखापेक्षी होने से मुक्त होने का भाव दिया गया । यह एक ऐसा भाषण था जिसमें
पड़ोसियों का नाम नहीं लिया लेकिन फिर भी
चीन और पाकिस्तान उसकी चर्चा की जा रही है और बार- बार सुना जा रहा है।
सबसे बड़ी बात यह पूरा भाषण “मीडिया सूत्रों” के कयासों से परे था।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के उत्तर भाग में भ्रष्टाचार तथा परिवारवाद की मानसिकता के विरुद्ध अंतिम युद्ध का बिगुल बजाते हुए इसमें सामान्य जन का सहयोग माँगकर विपक्ष की राजनीति को भूचाल का आभास करा दिया।
(नोट: ये लेखक के निजी विचार हैं)