प्रयागराज। महाकुंभ 2025 के प्रबंधन और तैयारियों को समझने के लिए देशभर के अधिकारी प्रयागराज में जुटे हैं। सुरक्षा, क्राउड मैनेजमेंट, और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की स्टडी के लिए उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, और कर्नाटक के वरिष्ठ अधिकारी प्रयागराज पहुंचे हैं। इस व्यापक अध्ययन का उद्देश्य आगामी कुंभ मेलों की तैयारियों को बेहतर बनाना है, जहां करोड़ों श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है।
मध्य प्रदेश की टीम का नेतृत्व
मध्य प्रदेश से एडीजी उमेश जोगा के नेतृत्व में उज्जैन के अधिकारियों की टीम प्रयागराज पहुंची।
टीम ने श्रद्धालुओं को व्यवस्थित तरीके से विभिन्न घाटों तक ले जाने की व्यवस्थाओं का अध्ययन किया। कंट्रोल रूम की व्यवस्थाओं, सीसीटीवी मॉनिटरिंग, और साइबर अटैक रोकने के उपायों की जांच की। इन्फ्रास्ट्रक्चर: सड़कों के चौड़ीकरण और घाटों की लंबाई-चौड़ाई बढ़ाने के लिए प्रयागराज प्रशासन के प्रयासों का विश्लेषण किया। रेस्क्यू ऑपरेशन, वाटर जेट्स और बचाव अभियानों की तैयारी देखी।
फोकस: ट्रैफिक और क्राउड मैनेजमेंट
उमेश जोगा ने बताया कि भीड़ को संभालने के लिए प्रयागराज प्रशासन ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं।
• हर दिशा से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग घाट बनाए गए हैं ताकि भीड़ का दबाव एक जगह न हो।
• घाटों और स्नानघरों के पास की व्यवस्थाओं का गहराई से अध्ययन किया गया।
साइबर सिक्योरिटी और फ्रॉड रोकथाम पर चर्चा
• टीम ने होटल बुकिंग और कॉटेज से जुड़े फ्रॉड रोकने के उपायों पर विचार किया।
• आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग और इसके ऑपरेशन्स को समझा।
प्रयागराज की तर्ज पर उज्जैन में विकास
2028 में उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ होगा। मध्य प्रदेश प्रशासन ने समय रहते इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने की पहल की है।
• उज्जैन के घाट प्रयागराज जितने लंबे नहीं हो सकते, लेकिन स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से काम किया जाएगा।
• उज्जैन के मंदिर और स्नानघरों के पास अधिक रेजिडेंशियल क्षेत्र होने के कारण यह चुनौतीपूर्ण होगा।
कुंभ प्रबंधन का डॉक्यूमेंटेशन
कानपुर आईआईटी कुंभ की सभी व्यवस्थाओं पर डॉक्यूमेंट्री तैयार कर रहा है। इसे भारत और विदेशों में सेमिनार के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा।
भविष्य के कुंभ आयोजन
• नासिक: 2027 में गोदावरी नदी के किनारे।
• उज्जैन: 2028 में।
• हरिद्वार: 2033 में।
दूसरे राज्यों की भागीदारी
कर्नाटक के सबरीमाला मंदिर और राजस्थान के पुष्कर मेले और करौली माता मंदिर में भीड़ प्रबंधन को लेकर चुनौतियां हैं। इन राज्यों के अधिकारी भी महाकुंभ से सीखने के लिए प्रयागराज पहुंचे हैं।
महाकुंभ का यह अध्ययन न केवल भारत के धार्मिक आयोजनों को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की आयोजन क्षमता का प्रदर्शन भी करेगा।