केदारनाथ धाम के कपाट हर साल शीतकाल के लिए बंद किए जाते हैं, और 2024 में कपाट बंद होने की तिथि 3 नवंबर निर्धारित की गई है। यह तिथि आमतौर पर दीपावली या भैया दूज के पास होती है, कपाट बंद करने की परंपरा के अनुसार भगवान शिव की मूर्तियों को शीतकालीन गद्दी स्थल उखीमठ ले जाया जाता है। शीतकाल के दौरान केदारनाथ में भारी बर्फबारी और कठोर मौसम के चलते मन्दिर में दर्शन और पूजा संभव नहीं होती, इसलिए भक्तों के लिए मन्दिर को बंद कर दिया जाता है।
कपाट बंद होने की प्रक्रिया:
कपाट बंद होने के दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कपाट बंद होने से पहले मंदिर में "समाधि पूजा" की जाती है, जिसमें भगवान शिव की मूर्तियों को विशेष रूप से सुसज्जित कर, पूरे विधि-विधान के साथ उखीमठ ले जाया जाता है। इस दौरान मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोगों की उपस्थिति में धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होते हैं। इसके बाद मंदिर के मुख्य द्वार को बंद कर दिया जाता है।
शीतकालीन गद्दी स्थल:
शीतकाल के दौरान केदारनाथ में पूजा उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मन्दिर में की जाती है, जो भगवान शिव का शीतकालीन निवास स्थल है। यहाँ पर भगवान केदारनाथ की मूर्तियों का पूजन और आराधना जारी रहती है, और भक्तजन यहाँ आकर भगवान के दर्शन कर सकते हैं।
कपाट पुनः खुलने की तिथि:
अगले वर्ष कपाट अक्षय तृतीया के दिन खुलते हैं, जो हिन्दू पंचांग के अनुसार मई या जून के महीने में आता है। इस दिन श्रद्धालु बड़ी संख्या में केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुँचते हैं।
केदारनाथ धाम को उत्तराखण्ड के चार धामों में से एक माना जाता है और यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। सर्दियों के दौरान मन्दिर बंद रहने के बावजूद, श्रद्धालुओं के लिए यह स्थान आस्था का प्रमुख केंद्र बना रहता है।