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पंचतत्व में विलीन हुए भारत के अनमोल रतन

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रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2024 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ। वे 86 वर्ष के थे और अपने जीवनकाल में भारतीय उद्योग जगत के सबसे प्रतिष्ठित और सफल उद्योगपतियों में गिने जाते थे। रतन टाटा ने टाटा समूह का नेतृत्व करते हुए इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई और कई ऐतिहासिक सौदे किए, जैसे ब्रिटिश स्टील कंपनी कोरस और जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण। रतन टाटा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, और उद्योग जगत की कई प्रमुख हस्तियों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने उन्हें एक "दूरदर्शी नेता" और "एक असाधारण इंसान" कहा। महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने का प्रस्ताव रखा है, जो देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। 

रतन टाटा का पार्थिव शरीर मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में जनता के दर्शन के लिए रखा गया है, जहाँ उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए प्रमुख उद्योगपति, राजनेता और आम लोग उपस्थित हुए। उनके नजदीकी सहयोगी शांतनु नायडू ने उनके पार्थिव शरीर को NCPA तक पहुँचाया। रतन टाटा की विरासत न केवल व्यापार के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक योगदान के माध्यम से भी अमर रहेगी। उन्होंने समाज सेवा के खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में पहलुओं में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

वर्ली शमशान घाट पर रतन टाटा जी का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संकर हुआ, नाम आँखों से सभी ने उनको विदाई दी ।