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जन्माष्टमी का इंतजार इस मुस्लिम परिवार को भी..

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पूरे देश में जन्माष्टमी की धूम है। विशेषकर भगवान कृष्ण के जन्मस्थान मथुरा की तो छटा ही निराली है। वहां स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, नंदगांव समेत सभी मंदिरों की भव्यता ऐसी मानो कन्हैया का जन्मोत्सव मनाने पूरा स्वर्ग ही धरती पर उतर आया हो। जन्माष्टमी के मौके पर बाजार भी रंग-बिरंगे परिधान और वस्तुओं से भरे पड़े हैं। क्योंकि कन्हैया के जन्मोत्सव का बड़ी बेसब्री से इंतजार भक्तों के साथ-साथ मिट्टी की हांडी तैयार करने वाले कारोबारियों को भी रहता है।

इस दौरान मथुरा में सद्भाव की एक मिसाल देखने को मिली। जहां चार मुस्लिम परिवार भी जन्माष्टमी का इंतजार करते हैं। क्योंकि कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर वह मटकी समेत अन्य बर्तन बेचकर अपनी जीविका को समृद्ध कर लेते हैं। इस तरह हसनपुर में रहरा संभल बाईपास पर रहने वाले शमसुद्दीन, बदरुद्दीन, अनवार अहमद और मुहम्मद अकरम, मुस्लिम कुम्हार हैं। उनका परिवार कई पीढ़ियों से अन्य सामानों के साथ मिट्टी के बर्तनों के कारोबार से जुड़ा हुआ है। 

इसलिए दीपावली पर दिये और जन्माष्टमी पर मटकी व हांडी की अच्छी मांग के चलते उनकी बिक्री काफी बढ़ जाती है। इसलिए हिंदुओं का त्यौहार उनके लिए किसी उपहार से कम नहीं है। इस तरह ये दोनों त्यौहार इन मुस्लिम परिवारों के लिए खुशी का बड़ा जरिया है। मुस्लिम कुम्हार शम्सुद्दीन का कहना है कि एक दशक पहले मिट्टी के बर्तन चलन से लगभग बाहर हो रहे थे, लेकिन अब स्व की प्रेरणा और भारतीय वस्तुओं के प्रति लोगों में आकर्षण बढ़ने से मिट्टी के बर्तन जैसे दीपक, मटकी समेत अन्य सामान भी खूब बिकने लगे हैं। जिसकी वजह से कारोबार फिर से पटरी पर लौट आया है। इस बार तो जन्माष्टमी पर बर्तनों की मांग खूब रही है। इसलिए तो कहा गया कि स्व से समाज के हर वर्ग का भला होता है और राष्ट्र मजबूत।