यह युद्ध धर्म और अधर्म के बीच है – डॉ. मोहन भागवत जी
- उन्होंने कहा कि हम
सबने देखा कि परसों पहलगाम में क्या हुआ? आतंकवादी हमले में पर्यटकों को रिलीजन पूछकर
उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। लेकिन कोई हिन्दू ऐसा कभी नहीं करेगा। यदि हम सब एक
होते तो कोई भी हमें तिरछी नजर से नहीं देखता।
- सरसंघचालक जी ने कहा कि “लड़ाई धर्म और अधर्म के बीच है। हमारे हृदय में शोक है। हमारे ह्रदय में क्रोध है। अगर राक्षसों से मुक्ति पाना है, तो आठ भुजाओं की शक्ति होनी चाहिए। रावण अपने मन और बुद्धि को बदलने के लिए तैयार नहीं था।
मुंबई, 24 अप्रैल। मास्टर दीनानाथ मंगेशकर की 83वीं पुण्यतिथि (24 अप्रैल, 2025) विले पार्ले (पूर्व) स्थित दीनानाथ मंगेशकर थिएटर में मनाई गई। मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि जब हम आपसी मतभेदों में रहते हैं, तो समाज में खाई बढ़ती जाती है। जब हम एकता के सिद्धांत का पालन करते हैं, तो हम में अपनेपन की भावना बढ़ती है। विश्व में केवल एक ही धर्म है और वह है मानवता। इसे ही हम हिन्दुत्व कहते हैं। संप्रदाय के अनुशासन का पालन सभी को करना पड़ता है और इसमें थोड़ी कट्टरता भी होती है। पर, हम सभी को मिलजुल कर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। हमारा संविधान धर्म निरपेक्ष है, संविधान के निर्माता धर्म निरपेक्ष थे क्योंकि हमारी 5,000 साल पुरानी संस्कृति हमें यही सिखाती है।
उन्होंने कहा कि हम सबने देखा कि परसों पहलगाम में क्या हुआ? आतंकवादी हमले में पर्यटकों को रिलीजन पूछकर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। लेकिन कोई हिन्दू ऐसा कभी नहीं करेगा। यदि हम सब एक होते तो कोई भी हमें तिरछी नजर से नहीं देखता।
सरसंघचालक जी ने कहा कि “लड़ाई धर्म और अधर्म के बीच है। हमारे हृदय में शोक है। हमारे ह्रदय में क्रोध है। अगर राक्षसों से मुक्ति पाना है, तो आठ भुजाओं की शक्ति होनी चाहिए। रावण अपने मन और बुद्धि को बदलने के लिए तैयार नहीं था। कोई और उपाय नहीं था। अंत में, राम ने रावण का वध कर डाला क्योंकि वे उसे सुधारना चाहते थे”। सक्षम सेना ना रखने का सबक प्रकृति ने हमें 1962 में सिखाया। दुष्टों का निर्मूलन करना ही होगा।
“अभी क्रोध भी है और अपेक्षा भी, और इस बार लगता है कि अपेक्षा पूरी होगी। हमारा समाज जब एकजुट होगा तो कोई भी तिरछी नज़र से नहीं देख सकेगा। कोई तिरछी नज़र से देखेगा तो उनकी आंखें फूट जाएंगी। अपेक्षा है कि इस बार हम इसका कड़ा जवाब देंगे। घृणा और दुश्मनी हमारा स्वभाव नहीं है, पर मार खाना भी हमारा स्वभाव नहीं है। शक्तिशाली व्यक्ति को ही अहिंसा का पालन करना चाहिए। शक्तिहीन को इसकी ज़रूरत नहीं है और फिर अगर शक्ति है तो ऐसे समय में दिखनी चाहिए।”
इस वर्ष का लता मंगेशकर पुरस्कार कुमार मंगलम बिड़ला को प्रदान किया गया। मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार में कला के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली हस्तियों प्रदान किया गया। पुरस्कार से सुनील शेट्टी, सचिन पिलगांवकर, श्रद्धा कपूर, शरद पोंक्षे, सोनाली कुलकर्णी, डॉ. एन राजम, श्रीपालजी सबनीस और रीवा राठौड़ को सम्मानित किया गया।
पं. हृदयनाथ मंगेशकर ने कहा, “हम हर साल उन व्यक्तियों को सम्मानित करते हैं, जिन्होंने मास्टर दीनानाथ जी द्वारा दिखाए गए समर्पण और सेवा की भावना को अपनाया है। यह उत्सव न केवल अतीत के प्रति श्रद्धांजलि है, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए एक मार्ग भी दिखाता है।”
कार्यक्रम का समापन पं. हृदयनाथ मंगेशकर जी के “सार कहीं अभिजात” संगीतमय प्रस्तुति से हुआ।