पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग को लेकर विहिप का विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन
विश्व हिन्दू परिषद ने आज नांगलोई जिला में जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। जिसमें पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार, उनके उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के कारण राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गई। विहिप के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बजरंग बांगड़ा जी ने कहा कि बंगाल, जो कभी स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद की भूमि रही है, वहां आज हिन्दुओं की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। अंग्रेजों ने 1905 में बंगाल को बांटने की योजना बनाई थी, जिसे उस समय सभी ने मिलकर विफल किया था। दुर्भाग्य से 1947 में देश की आजादी के समय विभाजन हुआ और उस समय दंगे, हत्याएं, बलात्कार जैसी घटनाएं घटित हुईं।
बजरंग बांगड़ा जी ने कहा कि देश विभाजन के बाद हिन्दू समाज ने अल्पसंख्यकों के प्रति कभी भी घृणा नहीं रखी और उन्हें शांतिपूर्ण जीवन यापन का अधिकार दिया। इसके विपरीत, जहां भी हिन्दू समाज अल्पसंख्यक है, चाहे वह पश्चिम बंगाल हो, उत्तर प्रदेश हो, किशनगंज हो, या बांग्लादेश हो, वहां उनका उत्पीड़न किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बंगाल में जो भी हो रहा है, वह सिर्फ वक्फ का बहाना है। यह कानून मुसलमानों के सामाजिक कल्याण के प्रबंधन का है, लेकिन इसके विरोध की आड़ में हिन्दुओं पर अत्याचार किया जा रहा है। बंगाल में घर जलाए गए, दुकानें लूटी गईं, मवेशी छीन लिए गए, और बहु-बेटियों की इज्जत को खतरे में डाला गया है। राज्य सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही, और इसके किसी मंत्री या मुख्यमंत्री ने अब तक पीड़ित परिवारों से मुलाकात नहीं की है। वहां के पीड़ित परिवारों को अपनी जान बचाने के लिए पलायन करना पड़ा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के संरक्षण में यह प्रायोजित हिंसा हो रही है। जब मानवाधिकार आयोग और महिला आयोग वहां पहुंचा, तो उनकी एंट्री बंद कर दी गई और पुलिस के घेरे में हिन्दुओं को नजरबंद किया गया ताकि वे अपनी बात न रख सकें। हिन्दू समाज को सुरक्षित रखने के लिए राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र उपाय है, क्योंकि राज्य सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण कानून व्यवस्था बनाए रखने में असमर्थ है।
शिमला – हिमाचल की राजधानी शिमला में विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन के नेतृत्व में राज्य के राज्यपाल जी के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया।
मथुरा – उत्तर प्रदेश में भगवान् श्री कृष्ण जी की जन्मस्थली मथुरा में हुए प्रदर्शन में विहिप के केंद्रीय सह संगठन महा मंत्री श्री विनायक राव देशपांडे ने प्रदर्शकारियों का नेतृत्व करते हुए जिलाधीश के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया गया।
नोएडा – पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध नोएडा महानगर में राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल के मार्गदर्शन में नोएडा के सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। विनोद बंसल ने मांग की कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल की वर्तमान भयावह स्थिति का शीघ्र संज्ञान लेना चाहिए। वहां की मुख्यमंत्री हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर मूकदर्शक बनी हुई हैं, संवैधानिक पद पर रहते हुए एक पक्ष की सहायक बनी हुई हैं और तुष्टीकरण की राजनीति कर रही हैं।
विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने एक आवाज़ में पश्चिम बंगाल सरकार की नीति को लेकर नारेबाजी की…
“हिन्दुओं की ये हुंकार _नहीं सहेंगे अत्याचार”
“हिन्दू विरोधी ममता सरकार_ नहीं चलेगी नहीं चलेगी”
“बंद करो बंद करो_ हिन्दुओं पर अत्याचार बंद करो।”
“ममता बनर्जी होश में आओ_ हिन्दुओं पर अत्याचार बंद करो।”
“हिन्दुओं का यह अपमान — नहीं सहेगा हिंदुस्तान।”
विश्व हिन्दू परिषद ने देश भर में विभिन्न स्थानों पर आय़ोजित विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा।
ज्ञापन में कहा गया कि ..
- ममता सरकार भारत के संघीय ढांचे को बंगाल में ध्वस्त कर अपनी सरकार और वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है।
- बंगाल में राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में आ चुकी है। बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को निर्बाध रूप से आने दिया जा रहा है। उनके आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। पाकिस्तान व बांग्लादेशी आतंकी संगठनों की सक्रियता बढ़ रही है।
- हिन्दुओं के प्रति हिंसा बढ़ रही है और न्यायालय के आदेश पर ही हिन्दू त्योहारों को मनाने की अनुमति मिल पाती है। उनको सुरक्षा देने वाले अर्ध सैनिक वालों को निशाना बनाया जाता है।
- हिन्दू का अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है। कानून व्यवस्था पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है। तृणमूल के असामाजिक तत्वों व गुंडों के नियंत्रण व निर्देशन पर ही शासन काम करने के लिए विवश है।
यह हिंसा मुर्शिदाबाद से निकलकर संपूर्ण बंगाल में फैलती जा रही है। अब यह बंगाल तक ही सीमित नहीं रहेगी। इसलिए देश की जनता यह मांग करती है कि;
- बंगाल में अविलंब राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।
- बंगाल की हिंसा की जांच NIA द्वारा कराई जाए और दोषियों को अविलंब दंडित किया जाए।
- बंगाल की कानून व्यवस्था का संचालन केंद्रीय सुरक्षा बलों के हाथ में दिया जाए।
- बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उनको देश से निष्कासित किया जाए तथा बंगाल से सटी बांग्लादेश की 450 किलोमीटर की सीमा पर कंटीले तार लगाने का काम अविलंब प्रारंभ किया जाए, जिसे, ममता सरकार ने रोका हुआ है।
ज्ञापन में विश्वास व्यक्त किया गया कि राष्ट्र की सार्वभौमिकता व सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए आप अविलंब कार्रवाई करेंगी।