वाराणसी ।
-रंग विरंगे फूलों से सजेगा बाबा विश्वनाथ धाम का मंदिर
- देवता धरती पर उतरकर दीपों की दिव्य आभा का लेते हैं आनंद
देव दीपावली का महत्व-
देव दीपावली, जिसे "देवताओं की दिवाली" के नाम से भी जाना जाता है, कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं धरती पर उतरकर दीपों की इस दिव्य आभा का आनंद लेते हैं। इस अवसर पर श्रद्धालु दीप जलाकर गंगा की आरती करते हैं और घाटों पर दीयों की कतारों से एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। वाराणसी में यह पर्व विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है, और यहाँ की देव दीपावली का आकर्षण देश-विदेश से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।
काशी विश्वनाथ धाम की विशेष सजावट-
इस बार बाबा विश्वनाथ के मंदिर को दिव्य तरीके से सजाया जा रहा है। गर्भगृह से लेकर पूरे मंदिर परिसर में रंग-बिरंगे फूलों की सजावट की जाएगी, जिससे वातावरण में एक भक्ति और उत्साह का संचार होगा। इसके अलावा, पूरे परिसर में दीप जलाए जाएंगे जो रात में एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करेंगे।
गंगा तट पर सवा लाख दीपों का आयोजन-
गंगा के घाटों पर सवा लाख दीप जलाने का आयोजन काशी की इस पवित्र भूमि पर भक्ति का न केवल प्रतीक है, बल्कि यह देवताओं को अर्पित एक श्रद्धांजलि भी है। श्रद्धालु दीयों की रौशनी से गंगा किनारे की भव्यता को बढ़ाते हैं और अपने परिवार के लिए मंगलकामनाएं करते हैं। इस दौरान गंगा आरती का भी विशेष आयोजन होता है, जिसमें भक्तगण सम्मिलित होकर गंगा मैया की आराधना करते हैं।
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र-
देव दीपावली का यह पर्व न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। इस मौके पर हजारों की संख्या में देश-विदेश से पर्यटक वाराणसी आते हैं। गंगा के घाटों पर दीपों की अद्भुत आभा, रंग-बिरंगे फूलों की सजावट और भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है। इस आयोजन से काशी की दिव्यता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रचार भी होता है।
इस बार का देव दीपावली का पर्व भक्तों के लिए एक अनूठा अनुभव लेकर आएगा, जिसमें श्रद्धा, भक्ति और काशी की अलौकिक सुंदरता का संगम देखने को मिलेगा।