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धर्म-आस्था को जागृत करने वाली पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर – सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी

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धर्म-आस्था को जागृत करने वाली पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर – सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी


-आयोजन में हजारों नागरिक, मातृशक्ति और समाज के विविध वर्गों की भागीदारी रही। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर जी के वंशज उदयराजे होलकर जी ने कहा कि अहिल्यादेवी एक दूरदर्शी शासिका थीं

- त्रिशताब्दी जयंती वर्ष के अंतर्गत विगत वर्षभर विभिन्न कार्यक्रमों एवं संगोष्ठियों के माध्यम से पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर के प्रेरणास्पद जीवन एवं उनके योगदान को जनमानस तक पहुँचाने का प्रयास किया गया


मुंबई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर त्रिशताब्दी जयंती समारोह समिति, मुंबई महानगर द्वारा आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में कहा कि भारत भूमि सदा से ही वीरांगनाओं और लोकनायिकाओं की जननी रही है। ऐसी ही एक महान विभूति थीं पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर, जिन्हें भारतीय परंपरा में सुशासन और लोक कल्याण की मूर्तरूप स्वरूप माना जाता है। अल्प समय में ही उन्होंने न केवल एक आदर्श सुराज्य की स्थापना की, बल्कि सामाजिक समरसता, न्याय और सुरक्षा के मजबूत स्तंभ भी निर्मित किए। वे भारतीय नारीशक्ति की कालजयी  प्रतीक हैं।


आयोजन में हजारों नागरिक, मातृशक्ति और समाज के विविध वर्गों की भागीदारी रही। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर जी के वंशज उदयराजे होलकर जी ने कहा कि अहिल्यादेवी एक दूरदर्शी शासिका थीं, जिन्होंने महेश्वर में सूर्य घड़ी का निर्माण कर भारत की सांस्कृतिक, खगोलशास्त्रीय और वैज्ञानिक चेतना को अभिव्यक्त किया। वे यह मानती थीं कि “गौमाता ही भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और उन्हीं के संरक्षण से समृद्धि संभव है।”


त्रिशताब्दी जयंती वर्ष के अंतर्गत विगत वर्षभर विभिन्न कार्यक्रमों एवं संगोष्ठियों के माध्यम से पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर के प्रेरणास्पद जीवन एवं उनके योगदान को जनमानस तक पहुँचाने का प्रयास किया गया। इसी श्रृंखला में, मुंबई के दादर स्थित राजा शिवाजी विद्यालय परिसर में समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में युवावर्ग एवं महिलाएं सम्मिलित हुए।


कार्यक्रम के दौरान, अहिल्यादेवी द्वारा काशी, गया, द्वारका, रामेश्वरम् जैसे तीर्थस्थलों में कराए गए पुनर्निर्माण कार्यों की जानकारी दी गई, जो यह दर्शाता है कि वे केवल एक राजनेत्री ही नहीं, अपितु एक राष्ट्रनायिका भी थीं। जिनकी दृष्टि भारत के धार्मिक पुनर्जागरण और सांस्कृतिक समृद्धि पर केंद्रित थी।