मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में मुस्लिम युवती सोनिया ने मेरठ के हिंदू युवक सुरेश शर्मा से विवाह कर लिया। दोनों बालिग हैं और युवती ने एक वीडियो जारी कर स्पष्ट कहा 'मैंने अपनी मर्जी से सुरेश से शादी की है। कोई दबाव नहीं है और मैं बहुत खुश हूं।' लेकिन इस विवाह के बाद मामला गरमा गया। लड़की के पिता और भाई ने न केवल इस रिश्ते का विरोध किया, बल्कि सुरेश और उसके परिवार को जान से मारने की धमकियां भी दे डालीं। इस घटना ने फिर साबित कर दिया कि इस्लामी समाज में एक लड़की को अपनी पसंद से जीने की आजादी तक नहीं है। सोनिया के पिता और भाई को उसकी खुशी मंजूर नहीं। उन्हें बेटी का फैसला नहीं, अपनी 'झूठी इज्जत' प्यारी है — और उस इज्जत की रक्षा का तरीका है– कत्ल की धमकी। यानी इस्लाम में बेटी कोई स्वतंत्र प्राणी नहीं, बस एक 'बंद कमरा' है जिसे जब चाहे सील कर दो। दूसरी तरफ देखिए — हिंदू युवक सुरेश शर्मा ने न तो सोनिया से किसी भी चीज की मांग की और नाही उस पर कोई सामाजिक या पारिवारिक दबाव डाला। उसने सिर्फ एक इंसान को इंसान की तरह अपनाया। यही है सनातन धर्म की गहराई और मर्यादा, जो किसी को मजबूर नहीं करता, किसी की आस्था का अपमान नहीं करता। जब हिंदू बेटियों को निशाना बनाकर लव जिहाद की साजिशें चलती हैं, जब मुस्लिम युवक फर्जी पहचान से शादी कर हिन्दू युवतियों का मतांतरण कराते हैं — तब कोई फतवा, कोई परिवार, कोई मजहब बगावत नहीं करता। लेकिन जब एक मुस्लिम बेटी, खुलेआम, बालिग होकर हिंदू युवक से विवाह कर लेती है — तो पूरा समाज कत्ल की धमकी देता है। सुरेश के परिवार ने पुलिस प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है। लेकिन सवाल सिर्फ उनकी सुरक्षा का नहीं है — सवाल है कि कब तक इस देश में मजहबी कट्टरता प्रेम को कुचलती रहेगी? कब तक बेटियाँ फतवों और गाली-गोलियों के बीच अपनी आजादी को साबित करती रहेंगी?