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बदरीनाथ धाम की पर्यावरण संरक्षण से आत्मनिर्भरता की उड़ान

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बदरीनाथ धाम, उत्तराखंड

देवभूमि उत्तराखंड में स्थित विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बदरीनाथ ने पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अभूतपूर्व मिसाल पेश की है। बदरीनाथ नगर पंचायत ने कूड़ा प्रबंधन और नवाचार के माध्यम से अनूठा प्रयास किया है, जिससे न केवल क्षेत्र की स्वच्छता सुधरी है, बल्कि नगर पंचायत को अच्छी-खासी आमदनी भी हुई है। बदरीनाथ नगर पंचायत ने अपनी आय को दोगुना करने के लिए एक अद्वितीय और साहसी कदम उठाया है, जिसकी वजह से वह देश भर में चर्चा का विषय बन गई है।

1.07 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व

बदरीनाथ नगर पंचायत ने हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों में यह बताया है कि उन्होंने कूड़ा बेचकर 1 करोड़ 7 लाख से अधिक की कमाई की है। क्षेत्र से एकत्रित कूड़े को उत्तर प्रदेश के बिजनौर और सहारनपुर स्थित फैक्ट्रियों को पुनर्चक्रण के लिए बेचा जा रहा है, जिससे न केवल राजस्व बढ़ रहा है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिल रहा है।

कचरा निस्तारण से लाभ ही लाभ

प्लास्टिक कचरे को पुनर्चक्रण के लिए बेचा जा रहा है, जबकि जैविक कचरे से खाद तैयार की जा रही है। यह खाद स्थानीय स्तर पर तुलसी वन और धाम के आस-पास के पौधों में उपयोग की जा रही है। खाद उत्पादन के लिए 12 कंपोस्टिंग पिट बनाए गए हैं और 15 कर्मचारियों को इस प्रक्रिया में नियुक्त किया गया है।

हर वर्ष छह महीने चलने वाले बदरीनाथ धाम के यात्रा काल में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल के दर्शन को आते हैं। इतने बड़े पैमाने पर आने वाले यात्रियों के कारण प्लास्टिक और अन्य कचरे का निस्तारण नगर पंचायत के लिए बड़ी चुनौती थी। वर्ष 2021 में इस चुनौती से निपटने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की गई, जिसके तहत नगर पंचायत ने ईको शुल्क प्रणाली शुरू की और कूड़ा प्रबंधन के लिए अतिरिक्त संसाधन लगाए।

हेली ईको-टूरिज्म शुल्क वसूलने वाली देश की पहली पंचायत

ईको पर्यटन शुल्क की वसूली पहले कर्मचारियों के माध्यम से होती थी, लेकिन अब नगर पंचायत ने फास्टैग बैरियर सिस्टम लागू किया है। शुल्क के तहत चौपहिया वाहनों से 60, टेंपो ट्रैवलर से 100, बसों से 120 और हेलीकॉप्टर से प्रति फेरा 1,000 वसूले जा रहे हैं। बदरीनाथ देश की पहली नगर पंचायत बन गई है, जो हेलीकॉप्टर से आने वाले यात्रियों से ईको-टूरिज्म शुल्क वसूल रही है। 4 मई को कपाट खुलने के बाद से अब तक 1 करोड़ 10 हजार रुपये की आय हो चुकी है। 

यह पहल न केवल बदरीनाथ को एक स्वच्छ तीर्थ स्थल बनाए रखने में मदद कर रही है, बल्कि अन्य नगर पालिकाओं और धार्मिक स्थलों के लिए भी एक ठोस मॉडल प्रस्तुत कर रही है कि कैसे अपशिष्ट प्रबंधन को केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि राजस्व और आत्मनिर्भरता के एक अवसर में बदला जा सकता है।