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मजहबी जंजीरें तोड़ शाजिया ने सनातन में की घर वापसी

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मेरठ, उत्तर प्रदेश 

इतिहास गवाह है जब आत्मा सत्य को पुकारती है, तब कोई भी मजहबी बेड़ी उसे रोक नहीं सकती। यही अद्भुत दृश्य मेरठ के सरूरपुर क्षेत्र में देखने को मिला, जब शाजिया ने मजहबी बंधनों को तोड़कर साहसिक निर्णय लिया और आर्य समाज मंदिर में रिंकू संग वैदिक विवाह संस्कार में बंध गई। उसने सबके सामने ऐलान किया 'मैं बालिग हूँ और अपनी इच्छा से सनातन धर्म अपना रही हूँ। मुझे हिंदू धर्म अच्छा लगता है।' सोशल मीडिया पर वायरल हुए उसके शब्द केवल बयान नहीं अपितु घर वापसी का उद्घोष है। शाजिया का यह कदम साधारण नहीं है। यह एक युवती की आत्मा की पुकार है, जिसने अंधकार से बाहर निकलकर सत्य की ज्योति को स्वीकार किया। यह वही क्षण है जब एक लड़की ने अपने अस्तित्व को नया अर्थ दिया और कहा अब मैं शाजिया नहीं, अपितु सनातनी नारी हूँ। आर्य समाज मंदिर में गूँजे वैदिक मंत्रों और अग्नि की पवित्र आहुति के बीच जब उसने सात फेरे लिए, तो यह केवल विवाह का संस्कार नहीं था। यह वह क्षण था जब मजहब पर सनातन की विजय का शंखनाद हुआ। आज वह केवल रिंकू की पत्नी नहीं अपितु घर वापसी की जीती-जागती मिसाल है। उसने दिखा दिया कि धर्म का चुनाव रक्त या मजहब से तय नहीं होता, बल्कि आत्मा की पुकार और सत्य की स्वीकृति से होता है। यह घटना पूरे समाज को संदेश देती है मजहबी जंजीरें कितनी भी मजबूत क्यों न हों, सत्य की तलवार उन्हें तोड़ देती है। आत्मा का मार्ग केवल एक ही है सनातन धर्म, जो स्वतंत्रता, प्रकाश और शाश्वत सत्य का मार्ग है।

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