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सात फेरे लेकर शिफा ने रानी बन तोड़ी मजहबी बेड़ियां

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अमरोहा, उत्तर प्रदेश

मजहब की दीवारें चाहे कितनी भी ऊँची क्यों न हों, सत्य अंततः अपना मार्ग खोज ही लेता है। यही हुआ जब शिफा ने अपने पुराने मजहबी बंधनों को तोड़कर रानी का स्वरूप धारण किया और आर्य समाज मंदिर में सात फेरे लेकर सनातन परंपरा को आत्मसात किया। शिफा के परिजन मजहब की संकीर्णता में बँधे थे, जिन्होंने प्रेम को नहीं अपितु मजहब को प्रधानता दी। मगर शिफा ने साहस दिखाया उसने समझ लिया कि जो मार्ग आत्मा को स्वतंत्रता और जीवन को प्रकाश देता है, वही सच्चा धर्म है। इसलिए उसने नया नाम, नई पहचान और नया जीवन चुना, सनातन के आंचल में। यह विवाह मात्र व्यक्तिगत निर्णय नहीं अपितु घर वापसी की भव्य यात्रा है। यह इस सत्य का प्रमाण है कि कोई भी मजहबी जाल कितना भी कसकर बुना जाए, अंततः इंसान उसी सनातन परंपरा में लौटता है, जहाँ से उसकी आत्मा का उद्गम हुआ है। आज वह शिफा नहीं, बल्कि रानी है।  सनातन की पुत्री, जिसने सात फेरों के साथ यह संदेश दिया कि : सनातन कोई विकल्प नहीं, बल्कि मूल सत्य है।