पर्यावरण बचाने के लिए आज हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। चाहे सरकार हो, प्रशासन हो या सामाजिक संगठन – सभी हरियाली बढ़ाने और प्रकृति को बचाने की मुहिम में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। इसी कड़ी में एक अनोखी पहल की गई है। जी हां मंदिरों में मिलने वाले प्रसाद की परंपरा को नए रूप में आगे बढ़ाते हुए वन विभाग और जिला प्रशासन ने ‘पौधा भंडारा’ और ‘पौधा प्रसाद’ जैसी योजना शुरू की है।
अलीगढ़: पौधा भंडारा और पौधा प्रसाद की पहल
पौधारोपण के साथ संरक्षण पर जोर देने के उद्देश्य से वन विभाग ने पिछले वर्ष ‘पौधा भंडारा’ और ‘पौधा प्रसाद कार्यक्रम’ की शुरुआत की थी। इस वर्ष भी सावन के अंतिम सोमवार से रक्षाबंधन तक अलीगढ़ जिले में मंदिरों के बाहर यह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके तहत भक्तों को प्रसाद के रूप में पौधे दिए जाएंगे ताकि वे उन्हें रोपकर संरक्षित करें। वन विभाग का मानना है कि जैसे लोग मंदिर से मिले प्रसाद का सम्मान करते हैं, वैसे ही पौधा प्रसाद को भी लोग अपने घर या खेतों में लगाकर संजोएंगे। पिछले वर्ष यह अभियान स्वतंत्रता दिवस से रक्षाबंधन तक कई मंदिरों के बाहर चलाया गया था। इस बार इसे सावन की भीड़भाड़ वाले सोमवार से रक्षाबंधन तक विशेष रूप से चलाने की योजना है। आगे वन क्षेत्राधिकारी ने बताया कि शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के प्रमुख मंदिरों को चिन्हित कर वहां पौधा भंडारा कार्यक्रम चलाया जाएगा। विभिन्न रेंज के कर्मचारियों को मंदिरों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है। अब तक मंदिरों में फूल और मिठाई का प्रसाद मिलता है, लेकिन इस बार भक्तों को पौधों के रूप में प्रसाद दिया जाएगा।
बरेली: शिवभक्तों को मिला पौधा प्रसाद
इस वर्ष बरेली प्रशासन ने शिवभक्तों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए पौधा प्रसाद में वितरित किया। सावन के दूसरे सोमवार को डीएम और एसएसपी ने धोपेश्वर नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना और जलाभिषेक किया। इसके बाद उन्होंने श्रद्धालुओं और कांवड़ियों को प्रसाद के रूप में पौधे बांटे और स्वयं भी पौधारोपण किया। पौधा भंडारा और पौधों को प्रसाद के रूप में देना यह पहल हमें यह सिखाता है कि यदि हम मिलकर छोटे-छोटे कदम उठाएं, तो पर्यावरण संरक्षण जैसी बड़ी जिम्मेदारी भी पूरी की जा सकती है। क्योंकि हर छोटा प्रयास बड़ा बदलाव ला सकता है। बस शुरुआत हमें स्वंय से करनी होती है।