चारो ओर हर्ष और उल्लास, सजे हुए घर, बाजारों में रौनक ,भक्ति और आध्यात्मिकता के साथ ही खुशियाँ बांटने वाला पर्व
जी हाँ, यह दीपों का त्योहार जिसकी भारत में ही नहीं, विदेशों में भी धूम देखने को मिलती है । यह प्रकाश का पर्व है। यह उत्सव है प्रभु श्री राम के 14 वर्ष के वनवास के समाप्त होने का, यह उत्सव है, अधर्म पर धर्म की विजय कर अयोध्या में श्री राम के लौटने का। यह शुभ अवसर है सुख समृद्धि और उन्नति की कामना करने का, आम तौर से लोग इसे भगवान श्री राम के अयोध्या लौटने से जोड़ते हैं और यह सही भी है किन्तु इस दिन विशेष रूप से श्री की देवी लक्ष्मी और समृद्धि के देवता गणेश जी का पूजन भी होता है। लोक किवदंती है कि सागर मंथन में लक्ष्मी जी इसी दिन प्रगट हुई थीं और उन्होंने यक्षों के राजा कुबेर को धन का भंडारी और शिव पुत्र गणेश जी को धन का वितरण करने का दायित्व दिया था। इसलिए लक्ष्मी जी जहाँ धन प्रदान करने वाली हैं वहीं गणेश जी सुख और समृद्धि को जीवन में लाते हैं, रिद्धि मतलब भौतिक सम्पन्नता तथा सिद्धि मतलब आध्यात्मिक समृद्धि के वे स्वामी हैं। इसी के साथ वे बुद्धि प्रदाता भी हैं। गणेश जी के पुत्र शुभ और लाभ जीवन को उन्नत करते हैं।
दीपावली का अर्थ केवल अपने घरों और प्रतिष्ठानों को प्रकाशित करना नहीं है, दीपावली का अर्थ है खुशियों को बाँटना और अभावग्रस्त लोगों के जीवन में प्रकाश की किरण बनकर उनके जीवन में उजाला करना। इसीलिए भारतीय संस्कृति में दीपावली को सामाजिक समरसता का भी पर्व माना गया है।आइये हम सब इस दीपावली संकल्प लें कि अपने आस-पास की मलिन बस्तियों में जाकर किसी के उदास जीवन में खुशियों के दीप अवश्य जलाएंगे।