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ड्रैगन फ्रूट से चमकी बागपत के किसान की किस्मत

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बागपतउत्तर प्रदेश



नौकरी की दौड़ में सब भागते हैंलेकिन जो रास्ता अलग चुनता हैवही सफलता की कहानी बुनता है। और बागपत के राजेश धामा की कहानी ऐसी ही एक मिसाल है। राजेश ने पशुपालन में पोस्ट-ग्रेजुएट कियालेकिन नौकरी नहीं की। राजेश ने सोचा डिग्री तो सबके पास होती हैपर कुछ नया करने की हिम्मत कम लोग रखते हैं। बस  इसी सोच ने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी। सिर्फ 2 बीघा जमीन और एक नया सपना। उन्होंने चुनी ड्रैगन फ्रूट की खेती एक ऐसी फसलजो 25 साल तक साथ देती है।


आज राजेश धामा के पास डेढ़ एकड़ का मॉडर्न फार्म है। जहां ट्रेलिस और रिंग पोलदोनों तकनीकों से खेती होती है। एक फैसले ने उनकी कमाई को आसमान छूना सिखा दिया। राजेश ने छह प्रीमियम वैराइटी लगाई हैंसी-रेडइस्राइली येलोपिंक ताइवानश्रीलंकन रेडएलडी-1और एलडी-5 मार्च से जुलाई तक हर सीजन में खेत रंगों से भर जाता है। ट्रेलिस की खूबसूरती ये है कि एक ही जगह ज्यादा पौधे लगाए जा सकते हैं.. जिससे ज्यादा उपज आती है और ज्यादा मुनाफा होता है।


राजेश को पहले साल एक क्विंटल दूसरे साल 10 क्विंटल  और तीसरे साल से 15 क्विंटल प्रति बीघा पैदावार हुई। जिससे उनकी लागत जो  बस डेढ़दो लाख थी दो सीजन में निकल आई। गर्मी में पौधों को बचाने के लिए नीम ऑयलट्राइकोडर्मासोडोमोनास और ऊपर नेट शेड धूप को कंट्रोल करता है। राजेश ने अपनी नर्सरी भी बनाई है। एक कलम से तैयार होते हैं 810 नए पौधे जो उन्हें ऑफ-सीजन भी कमाई दिलाते हैं। आज राजेश धामा लाखों कमा रहे हैं। लेकिन उनके लिए असली कमाई क्या हैदूसरों को रास्ता दिखाना। उनकी सलाह छोटे से शुरू करो सीखो और फिर आगे बढ़ो।’ क्योंकि सफलता जमीन की नहींजज्बे की खेती से मिलती है।