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नन्हीं अदिरा के ब्रश से कैसे पर्यावरण हो रहा संरक्षित

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गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

उम्र केवल11 साल, लेकिन सोच इतनी बड़ी कि पूरा देश प्रेरणा ले,  गोरखपुर की अदिरा ने ठान लिया है कि जब तक भारत प्लास्टिक से मुक्त नहीं बनेगा, वह चैन से नहीं बैठेगी। खिलौनों और कार्टून में खो जाने वाली उम्र में अदिरा आज बांस से बने ब्रश, नीम की कंघी और बीज वाली पेंसिल के जरिए आने वाली पीढ़ियों को हरी-भरी धरती और स्वच्छ भारत का तोहफा देने में लगी है। आदिरा का स्टार्टअप 'एनवी रक्षा' आज नन्हीं उम्र में उठी बड़ी क्रांति की पहचान बन चुका है। अदिरा महज छठवीं क्लास में पढ़ती हैं, लेकिन उनकी सोच और संकल्प बड़े-बड़े उद्यमियों को मात देते हैं।

Photo Credit: ETV Bharat

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उनके प्रोडक्ट्स बांस से बने टूथब्रश और टंग क्लीनर, नीम की लकड़ी की कंघी, रिसाइकल पेपर से बनी बीज वाली पेंसिल पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल हैं, जो प्लास्टिक की जगह पर्यावरण-अनुकूल विकल्प साबित हो रहे हैं। इस नन्हीं बच्ची को प्रेरणा मिली अपने परिवार से। बाबा अक्सर उन्हें प्लास्टिक के नुकसान और प्रकृति के महत्व के बारे में बताते थे। नाना अमरजीत सिंह कारगिल में शहीद हुए। मामा नीतीश सिंह पर्वतारोहण में देश का नाम रोशन कर चुके हैं। इन्हीं आदर्शों ने अदिरा के मन में राष्ट्र और प्रकृति सेवा का बीज बो दिया। अदिरा ने अपने अभियान को व्यवसाय नहीं अपितु राष्ट्र सेवा का रूप दिया है। उनका लक्ष्य है इस साल 1 लाख प्लास्टिक टूथब्रश को बांस के ब्रश से बदलना। वह स्वयं पैकिंग करती हैं और ऑर्डर लोगों तक पहुँचाती हैं। गोरखपुर के आरपीएम स्कूल में पढ़ने वाली अदिरा अपने साथियों को भी प्लास्टिक के नुकसान और पर्यावरण के फायदे समझाती हैं। उनके प्रयासों को पहचान मिली है और उन्हें पूर्वांचल गौरव सम्मान से नवाजा गया। अदिरा कहती हैं 'बांस और नीम जैसे प्राकृतिक संसाधन हमारे पास पहले से हैं। अगर हम इन्हें अपनाएँ तो न केवल प्लास्टिक का बोझ घटेगा अपितु देश भी आत्मनिर्भर बनेगा।' उनका मिशन सिर्फ उत्पाद बेचना नहीं है अपितु हर भारतीय को यह संदेश देना है कि 'प्लास्टिक छोड़ो, प्रकृति अपनाओ।'

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