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विकसित भारत में शिक्षा का योगदान विषय पर राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का शुभारंभ

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सूरत, 26 दिसंबर 2025।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का शुभारंभ आज वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, सूरत में हुआ। कार्यशाला का विषय “विकसित भारत में शिक्षा का योगदान” है। राष्ट्रीय कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों से 600 से अधिक शिक्षाविद, शिक्षण संस्थानों के प्रमुख, शोधकर्ता सहभागिता कर रहे हैं। कार्यशाला सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (SVNIT), सूरत एवं वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की जा रही है।

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कार्यशाला के उद्घाटन सत्र  में सवानी समूह के अध्यक्ष वल्लभभाई सवानी मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सपना केवल आर्थिक उन्नति से नहीं, बल्कि सशक्त, संस्कारवान और मूल्यनिष्ठ शिक्षा व्यवस्था से ही साकार होगा। शिक्षा ही वह माध्यम है जो राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करती है।

सारस्वत अतिथि प्रो. अनुपम शुक्ला, निदेशक – SVNIT, सूरत, प्रो. किशोर चावड़ा, कुलपति – वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय ने शिक्षा के समसामयिक परिदृश्य, राष्ट्रीय शिक्षा नीति तथा उच्च शिक्षा की भूमिका पर प्रकाश डाला।

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न्यास के संयोजक ए. विनोद ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की भूमिका पर कहा कि न्यास की शुरुआत शिक्षा बचाओ आंदोलन से हुई थी। आज यह एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन चुका है। हमारा उद्देश्य शिक्षा को भारतीय मूल्यों से जोड़ते हुए राष्ट्र निर्माण का सशक्त माध्यम बनाना है। न्यास शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व विकास और राष्ट्रभावना को सुदृढ़ करने के लिए सतत कार्य कर रहा है।

भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव प्रो. पंकज मित्तल ने कहा कि 2007 में न्यास की स्थापना के बाद से हमारे कार्यकर्ता पूरे देश में शिक्षा सुधार के लिए जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु न्यास निरंतर सक्रिय है।

उन्होंने जानकारी दी कि केंद्र सरकार द्वारा ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान अधिनियम’ संसद में प्रस्तुत किया गया है, जिसके अंतर्गत – विकसित भारत अधिनियम परिषद; विकसित भारत शिक्षा गुणवत्ता परिषद; विकसित भारत शिक्षा मानक परिषद, के गठन का प्रावधान है। कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे इस अधिनियम का गंभीर अध्ययन करें, उसके प्रावधानों को समझें और अपने सुझाव केंद्र सरकार को भेजें, ताकि भारत की शिक्षा व्यवस्था को वैश्विक मानकों के अनुरूप विकसित किया जा सके।

कार्यशाला के द्वितीय सत्र में देश के विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिनिधियों द्वारा संगठनात्मक, कार्यक्रमात्मक गतिविधियों की विस्तृत प्रस्तुति दी गई। सत्र में न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि न्यास द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। हम देश के सैकड़ों शिक्षण संस्थाओं के साथ मिलकर इसके क्रियान्वयन पर काम कर रहे हैं। पिछले वर्ष न्यास द्वारा एक राष्ट्र एक नाम : भारत अभियान की शुरुआत की थी और देशभर से 10 लाख हस्ताक्षर करवाने का संकल्प लिया था और मुझे बताते हुए गौरव की अनुभूति हो रही है कि हम लगभग इस लक्ष्य को पूर्ण कर चुके हैं। इस वर्ष की हमारी विशेष उपलब्धि रही कि हमने श्रीनगर के विद्यालयों का एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया, न्यास देश के हर प्रांत में अपने 11 विषय, 3 आयाम, 3 कार्यविभाग के माध्यम से पहुँच रहा है।

राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला में प्रत्येक प्रांत से कार्यकर्ता सहभागिता करने सूरत आए हैं। कार्यशाला की आयोजन समिति ने यथासंभव प्रयास कर सभी व्यवस्थाओं को सुचारू बनाने का प्रयास किया है।

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तृतीय सत्र में न्यास से संबद्ध देशभर के शिक्षण संस्थानों द्वारा किए जा रहे शैक्षिक प्रयोगों, नवाचारों की प्रस्तुतियाँ न्यास के प्रतिमान केंद्रों द्वारा दी गईं।