रुद्रपुर, उत्तराखण्ड
बीमारी दूर करने का झांसा, आस्था का नाम और बाबा का चोला, मगर असल में वो था हवस और ठगी का दरिंदा। कालेश्वर बनकर महमूद ने गरीब हिन्दू परिवारों की मजबूरी का फायदा उठाया , बीमारी ठीक करने के बहाने बेटियों को अकेले कमरे में बुलाकर उनकी इज्जत से खिलवाड़ किया। इतना ही नहीं, लोगों का विश्वास जीतने के लिए इस मजहबी भेड़िए ने हिन्दू नाम रखा और ढोंग रचाकर भोले-भाले परिवारों को फंसाता रहा। एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने खुलासा किया कि यह महमूद असल में एक फैक्ट्री में मजदूर था। पीर-मजार पर बैठकर उसने सीखा कि हिन्दुओं की आस्था का कैसे फायदा उठाना है। इसी के लिए इसने अपना नाम बदला और कालेश्वर बनकर हिन्दुओं के बीच घुसपैठ की। दरअसल, यह इस्लामी विकृत मानसिकता का क्लासिक उदाहरण है। यह महमूद सिर्फ रुद्रपुर तक सीमित नहीं रहा। पुलिस जांच में सामने आया कि उसने बरेली, मुरादाबाद, पीलीभीत तक अपने ठगी और हवस का जाल फैला रखा था। लगातार ठिकाने बदलकर यह नए शिकार ढूंढता और भोले हिन्दू जरूरतमंद परिवारों की मजबूरी का फायदा उठाता। जिन घरों में बीमारी या गरीबी थी, वहां यह मुसलमान ढोंगी बाबा बनकर पहुंचता। झाड़-फूंक और सम्मोहन का नाटक करता और इसी बहाने बेटियों को अकेले कमरे में बुलाकर उनकी इज्जत लूटने की कोशिश करता। असल में यह कोई कालेश्वर नहीं अपितु हिन्दू वेषधारी कालनेमि महमूद था। यह उस जिहादी विकृत मानसिकता का असली चेहरा है, जो हमेशा हिन्दुओं की आस्था, बेटी और संस्कारों को नुकसान पहुंचाने के कुत्सित प्रयास में जुटी है। और ऐसे कालनेमियों के विरुद्ध अब उत्तराखंड की पुलिस कड़ा प्रहार कर रही है।