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उत्तर प्रदेश के मेरठ की 'रजनी' का अचार, आत्मनिर्भरता की मिसाल

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उत्तर प्रदेश के मेरठ में 'रजनी' का अचार, आत्मनिर्भरता की मिसाल


मेरठ की एक साधारण गृहिणी रजनी की कहानी जितनी सादगी से शुरू होती है, उतनी ही गहराई से दिल को छू जाती है। आज उनकी जो सफलता है उसके पीछे का संघर्ष हर उस महिला की आवाज है, जिसने हालात के आगे झुकने से इनकार कर दिया। रजनी के पति टेलर हैं जिनका महामारी के दौरान काम पूरी तरह बंद हो गया। आमदनी का एकमात्र माध्यम थम गया। घर के खर्च के लिए जेब खाली हो गई, लेकिन रजनी का हौसला भरा हुआ था।


जिस रसोई में पहले घर का स्वाद तैयार होता था, अब वही रसोई आमदनी का जरिया बनने जा रही थी। रजनी ने अपने अचार बनाने के हुनर को चुना। न कोई बड़ी योजना, न कोई टीम - सिर्फ घर की रसोई, मसालों की सुगंध और एक गहरा विश्वास। उन्होंने सबसे पहले अपने मोहल्ले में अचार बाँटना शुरू किया। स्वाद ने सबका दिल जीता। इसके बाद उन्होंने जिला उद्योग केंद्र से प्रशिक्षण लिया और सरकारी योजना से 10,000 रुपये का लोन लेकर काम शुरू कर दिया। काम बढ़ा तो फिर 1 लाख रुपये का बैंक लोन लेकर अपने काम को आकार दिया।


धीरे-धीरे ‘रजनी’ नाम ब्रांड बन गया। उनके द्वारा तैयार किया गया आम, आंवला, मुरब्बा, मूली, करेला और मिक्स अचार अब मेरठ तक सीमित नहीं रहा — ये स्वाद अब देश भर में पहुँच चुका है। रजनी अकेली नहीं चल रहीं, उनके साथ अब 10 से अधिक महिलाएं रोजगार पा चुकी हैं। कई महिलाएं उनसे सीखने आती हैं — ये जानने कि कैसे रसोई की चुप्पी को आत्मनिर्भरता की आवाज में बदला जा सकता है। रजनी ने न सिर्फ अचार बनाए, उन्होंने अपने जैसे कई घरों के लिए उम्मीद का स्वाद तैयार किया।