नैनीताल, उत्तराखंड
नैनीताल के रामगढ़ ब्लॉक के छोटे से गांव नथुवाखान से उठी एक चिंगारी आज पूरे पहाड़ की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। यह कहानी है रमा बिष्ट की एक ऐसी महिला जिन्होंने कठिनाइयों को अपनी ताकत बनाया और संघर्षों के बीच एक नई राह गढ़ी। वर्ष 2013 में जब रमा ने 'एप्पल जोन' नाम से अपने स्टार्टअप की नींव रखी, तो सबने तंज कसे 'बिजनेस औरतों के बस की बात नहीं' लेकिन रमा ने किसी की नहीं सुनी। खेतों में सेब, आड़ू, खुमानी और पोलम के पौधे लगाए और उन फलों से फ्रूट प्रोसेसिंग की शुरुआत की। आज रमा बिष्ट 30 से अधिक प्रोडक्ट्स तैयार कर रही हैं, बुरांश का स्क्वैश, जैम, चटनी, हर्बल टी, गुलाब जल और हर्बल प्रोडक्ट्स, जिनकी मांग देश के कोने-कोने में है। खास बात यह है कि सारा काम मैनुअली होता है, ताकि गुणवत्ता से कोई समझौता न हो। रमा ने बागवानी के साथ-साथ हर्बल खेती भी शुरू की। अपने गार्डन में स्वीट बेसिल, स्टीविया, रोजमेरी, लेमनग्रास और अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियाँ उगाकर उन्होंने हर्बल टी और नैचुरल प्रोडक्ट्स बनाना शुरू किया। इससे स्थानीय बाजार ही नहीं अपितु ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी उनके प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ने लगी। रमा केवल खुद तक सीमित नहीं रहीं। उन्होंने आस-पास के 20 गांवों की महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा। हर सीजन में 8-10 महिलाएं सीधे और 50-60 महिलाएं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाते हैं। आज रमा हर महीने लाखों कमा रही हैं और आत्मनिर्भरता की जीती-जागती मिसाल बन चुकी हैं। रमा बिष्ट का संघर्ष बताता है कि 'हौसला बुलंद हो तो पहाड़ की कठिन चढ़ाइयाँ भी आसान हो जाती हैं।'