कोयम्बटूर
संस्कृत भारती का तीन दिवसीय अखिल भारतीय अधिवेशन 07 नवम्बर को अमृता विश्व विद्यापीठम्, कोयम्बटूर में प्रारंभ हुआ। देशभर से लगभग 4,000 प्रतिनिधि आयोजन में भाग ले रहे हैं। उद्घाटन समारोह वन्दे मातरम् और मंगलाचरण से आरंभ हुआ। माता अमृतानंदमयी और शृंगेरी पीठाधीश्वर श्री श्री विदुषेखरेन्द्र भारती स्वामी जी का आशीर्वचन वीडियो संदेश के माध्यम से प्राप्त हुआ। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा, “संस्कृत भारत का हृदय है, इसे सभी तक पहुँचना चाहिए। हमें संस्कृत के बारे में नहीं, संस्कृत में बोलना चाहिए।” उन्होंने डॉ. आंबेडकर द्वारा संस्कृत को राजभाषा बनाने के प्रस्ताव और नेहरू द्वारा इसे भारत की धरोहर कहे जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत व्यक्ति और समाज दोनों को सकारात्मक दिशा देने की क्षमता रखती है। कविता, नाटक और गीतों के माध्यम से इसे जन-जन तक पहुँचाया जाना चाहिए।
समारोह में डॉ. मणि द्रविड शास्त्री, परमपूज्य कामाक्षीदास स्वामी जी, तपस्यामृतानंदपुरी स्वामी जी तथा प्रो. गोपबन्धु मिश्र सहित अनेक विद्वान उपस्थित रहे।
इस अवसर पर संस्कृत भारती की तीन नई पुस्तकों वन्दना चन्दनग्रामात्, भाषा-विश्लेषण-रश्मिः और ग्रन्थ-रश्मिः का विमोचन हुआ। शांति मंत्र के साथ उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ। यह अधिवेशन संस्कृत के पुनर्जागरण और राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन रहा है।



