बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश
इस्लाम छोड़कर शाजिया ने की घर वापसी, बोलीं — "अब जाकर जीना सीखा है"
दिल्ली की शाजिया ने वो कदम उठाया जिसे सुनकर कट्टरपंथियों की नींद उड़ गई है। बुलंदशहर के आर्य समाज मंदिर में शाजिया ने इस्लाम को त्यागकर सनातन धर्म को अपनाया और अरुण के साथ अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए। परंपरा के नाम पर हिजाब, पर्दा और पाबंदियों में जकड़े समाज से बाहर निकलकर जब शाजिया ने अग्नि की लपटों में अपने आत्मसम्मान की लौ जलाई — तब जाकर उसे "असली आजादी" का एहसास हुआ। शाजिया ने बेबाकी से कहा, "मुस्लिम समाज में औरत को सिर उठाकर जीने की भी इजाजत नहीं है। सनातन ने मुझे ‘इंसान’ बनाया"। यह केवल एक विवाह नहीं था — यह था एक साहसी स्त्री का घोषणा-पत्र, जिसने दहशत की दीवार फांदकर धर्म को अपनाया, न कि किसी मजबूरी को। यहाँ जबरन मतांतरण नहीं, बल्कि पूर्ण चेतना से लिया गया निर्णय था — जहां प्रेम भी था और आत्मसम्मान भी। शाजिया और अरुण ने साहसिक निर्णय तो ले लिया है लेकिन उन्हें अब कट्टरपंथी मानसिकता वाले लोगों का खतरा सता रहा है — इसलिए दोनों ने प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है।