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गढ़वाली टोपी का ग्लोबल जादू

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हरिद्वार, उत्तराखण्ड

जिस संस्कृति को सिर पर रखकर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री सम्मान देते हैं। अब उसकी महक सात समंदर पार तक धूम मचा रही है। पहाड़ की हस्तनिर्मित गढ़वाली टोपी और ज्वेलरी के विदेशी भी दीवाने बन गए हैं और इसे वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है हरिद्वार का 'घंडियाल देवता' स्वयं सहायता समूह।

इस समूह की महिलाओं द्वारा हाथ से बनाई गई ये कलाकृतियाँ, टोपी और ज्वेलरी। यह केवल परिधान नहीं, बल्कि गढ़वाल के शिल्प और संस्कृति का प्रतीक हैं और आप जानकर हैरान होंगे कि इन हस्तनिर्मित कलाकृतियों के मुरीद केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, दुबई, चीन, सिंगापुर, इटली सहित कई देशों के लोग बन गए हैं। विदेशों से लगातार इन उत्पादों के ऑर्डर मिल रहे हैं। इस ग्लोबल डिमांड ने  समूह की वार्षिक आय को लगभग 15 से 20 लाख रुपये तक पहुँचा दिया है।

वर्तमान में 15 से 20 महिलाएँ भी इससे जुड़कर आत्मनिर्भर बनते भारत को नई ऊंचाई दे रही हैं। 'घंडियाल देवता' स्वयं सहायता समूह ने साबित कर दिया है कि स्थानीय हुनर में भी अंतरराष्ट्रीय बाजार जीतने की क्षमता है। सरकार की वोकल फॉर लोकल, मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं को ऐसे ही स्थानीय शिल्पकार मजबूत कर रहे हैं और इन योजनाओं का लाभ उठाकर ग्रामीण शिल्प या कौशल को ग्लोबल पहचान देने में जुटे हैं। इनके हुनर और मेहनत को मंजिल तक पहुंचाने में मदद करते हैं, समय-समय पर सरकार द्वारा आयोजित प्रदर्शनी और मेले।