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स्वाधीनता संग्राम में क्रान्ति का उद्घोष बनने वाला गीत

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वर्ष 1905 तक वंदे मातरम् देशभक्तों का नारा बन गया...

वंदे मातरम् जहाँ गूंजता, राष्ट्र प्रेम से लोगों का ह्रदय भर उठता

अंग्रेजों के प्रति क्रोध की ज्वाला भड़क उठती

आखिर वंदे मातरम् शब्द में ऐसा क्या चमत्कार है... जिसने अंग्रेजों की सत्ता तक उखाड़कर फेंक दी।

इसे जानने के लिए थोड़ा गहराई में उतरना होगा

भारत मात्र भूमि का एक टुकडा नहीं है। भारत एक जीवंत चेतना है जिसे हम भारत माता कहते हैं। हजारों वर्ष पूर्व वेदों की ऋचाओं ने इसी भूमि से विश्व की प्रथम संस्कृति का उद्घोष किया। ज्ञान-विज्ञान, कला और संस्कारों की उर्वर भूमि की प्रत्येक भारतवासी अनादि काल से वंदना करता आया है।  प्रत्येक युग में ऋषि-मुनियों और कवियों ने इस भूमि की अनेक प्रकार से स्तुति की है। यह अनवरत साधना कभी नहीं रुकी। 

स्तुति और वंदना के इसी अनुक्रम में मातृभूमि की आराधना और संपूर्ण राष्ट्र जीवन में चेतना का संचार करने वाला अद्भुत मन्त्र है "वंदेमातरम्"।  यह राष्ट्र मन्त्र माँ भारती के साधक बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय की लेखनी से अवतरित हुआ।  1875 में रचित यह गीत देशभक्ति का मंत्र ही नहीं अपितु राष्ट्रबोध, राष्ट्रीय चेतना तथा चिर-पुरातन राष्ट्र की अभिव्यक्ति का माध्यम भी बना है। विशेष रूप से भारतीय स्वाधीनता संग्राम में वंदेमातरम् की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

अनगिनत स्वाधीनता सैनानियों और क्रांतिवीरों ने इस गीत से ऊर्जा पायी और मातृभूमि के लिए सर्वस्व अर्पण करने का दृढ व्रत धारण किया। देश का कोई भी ऐसा स्वाधीनता सेनानी या महापुरुष नहीं होगा जिसने वंदेमातरम् से प्रेरणा न ली हो। आज भी यह गीत क्षेत्र, भाषा, जाति, वर्ग और पंथ की संकीर्णता को नष्ट कर न केवल हमें हमारी संस्कृति में अंतर्निहित अखण्ड एकता का स्मरण कराता है बल्कि हमें स्फूर्ति से भर देता है। 

वंदेमातरम्  भारतीय समाज को राष्ट्र की वैविध्यपूर्ण संस्कृति में निहित एकात्मता का दर्शन कराता है। यह हमें अपने महान राष्ट्र के प्रति सम्मान से भरता है, हमारे भीतर राष्ट्रीय चेतना का जागरण करता है। सम्पूर्ण राष्ट्र को मातृभूमि की वंदना करते हुए एक सूत्र में पिरोकर रखने वाला सेतु है वंदेमातरम्। 

यह हमारी राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक अस्मिता और स्वबोध का सशक्त आधार है। वंदेमातरम् को अंगीकार करना मात्र एक गीत को अंगीकार करना नहीं है, बल्कि ऐसा करना हमारी सांस्कृतिक विरासत, हमारे महान पूर्वजों, देश पर सर्वस्व अर्पण करने वाले अनगिनत अमर बलिदानियों के प्रति नतमस्तक होना है।