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भूकंप की पूर्व सूचना देगी शोध छात्रा की यह विशेष डिवाइस

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आगरा, उत्तर प्रदेश

भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक से घटित हो जाती है और भारी जान-माल की हानि का कारण बनती है। बचने का अवसर भी नहीं मिलता है। लेकिन आगरा के राजा बलवंत सिंह इंजीनियरिंग टेक्निकल कैंपस, बिचपुरी की शोध छात्रा स्वाति ने एक ऐसा यंत्र बनाने में सफलता प्राप्त की है जो कृत्रिम बुद्धिमता अर्थात AI की सहायता से भूकंप आने से 30 मिनट पहले ही इसकी सूचना दे देगा।

जब भी भूकंप आता है तब भूकंप आने से पूर्व ही पृथ्वी और पृथ्वी के वायुमंडल में सूक्ष्म विद्युत चुंबकीय परिवर्तन होते हैं। इन परिवर्तनों के विश्लेषण द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की सहायता से 500 किलोमीटर क्षेत्र में भूकंप के आने का 30 मिनट से एक घंटे पहले तक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। वर्ष 2027 तक यह शोध पूरा हो जाएगा। टेक्निकल कैंपस की सिस्मो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एंड स्पेस रिसर्च लैब में 24 घंटे जीपीएस और चुंबकीय सिग्नलों की निगरानी की जाती है। भौतिकी विभाग के सहायक प्रभारी डॉ. देवव्रत पुंडीर के निर्देशन में छात्रा स्वाति द्वारा वर्ष 2023 से भूकंप के आने से पहले होने वाले परिवर्तनों की पहचान के लिए पिछले दो वर्षों से शोध कार्य किया जा रहा है। 

इसमें जीपीएस टोटल इलेक्ट्रान कंटेंट, अल्ट्रा, वेरी लो फ्रीक्वेंसी सिग्नल का अध्ययन शामिल है। इन आंकड़ों को सपोर्ट वेक्टर मशीन और न्यूरल नेटवर्क जैसे शक्तिशाली एआइ एल्गोरिदम के माध्यम से प्रोसेस किया जा रहा है, इससे भूकंप से पहले सूक्ष्म परिवर्तन का पता लगने लगा है। उम्मीद है कि शोध पूरा होने पर 500 किलोमीटर से एक हजार किलोमीटर क्षेत्र में आने वाले भूकंप का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा।

AI breakthrough from RBS Bichpuri may predict earthquakes before they strike

शोध टीम का लक्ष्य है कि एक रियल-टाइम एआई सिस्टम विकसित हो सके जो सेकंडों में डेटा एनालाइज कर भूकंप की पूर्व चेतावनी जारी कर सके। संस्थान के शैक्षिक निदेशक प्रो. ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि भारत का 59 प्रतिशत भूभाग भूकंप जोखिम क्षेत्र में है। यदि यह तकनीक सफल हुई तो आपदा राहत दल को घंटों पहले चेतावनी मिल सकेगी। यह शोध भारत को भूकंप पूर्वानुमान में वैश्विक नेता बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इस तरह के शोध आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सार्थक भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं और यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं कि भारत की प्रतिभाएं भी उचित मार्गदर्शन में वैश्विक उपलब्धियां प्राप्त करने में पीछे नहीं हैं।